जशपुर: भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की केंद्रीय टीम ने हाल ही में जशपुर जिले के पैकु क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान टीम ने जिले के विभिन्न शासकीय विद्यालयों का निरीक्षण कर बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति की समीक्षा की और मृदा जनित रोगों (Soil Transmitted Helminths) पर गहन अध्ययन किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने यह जाना कि बच्चों में इन रोगों के कारण कुपोषण, एनीमिया और शारीरिक विकास में रुकावट जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलती हैं।
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केंद्रीय टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. अवनींद्र द्विवेदी ने बच्चों और शिक्षकों को मृदा जनित कृमियों से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यदि समय पर इन कृमियों का इलाज न किया जाए, तो यह बच्चों के पोषण स्तर को प्रभावित करते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और शारीरिक विकास दोनों बाधित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (National Deworming Day) पर देशभर के विद्यालयों में बच्चों को Albendazole की गोलियां दी जाती हैं, जो इन कृमियों को नष्ट करने के लिए कारगर मानी जाती हैं।
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इस अध्ययन अभियान का मुख्य उद्देश्य Albendazole दवा के उपयोग और उसके प्रभाव का आंकलन करना था, ताकि इसके भविष्य के इस्तेमाल को और बेहतर बनाया जा सके। केंद्रीय टीम ने न केवल विद्यालयों का निरीक्षण किया, बल्कि स्वास्थ्य अधिकारियों और शिक्षकों से भी इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। टीम द्वारा जुटाई गई जानकारी को आगे की नीति निर्धारण प्रक्रिया में उपयोग किया जाएगा।
इस निरीक्षण टीम में डॉ. प्रतीक सिंह, डॉ. अग्निवेश त्रिपाठी, श्री सिद्धार्थ झा, श्री विलियम्स और श्री सौरभ जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधान पाठक सैयद नदीम अहमद एवं अन्य शिक्षकों की उपस्थिति से यह अध्ययन और भी व्यापक और तकनीकी रूप से समृद्ध रहा। जशपुर जैसे आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में इस तरह के स्वास्थ्य अध्ययन न केवल बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक सार्थक कदम हैं, बल्कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभाव का मूल्यांकन करने का भी सशक्त माध्यम हैं।