राजस्थान के चूरू जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां के सबसे बड़े सरकारी डीबी अस्पताल में एक मां ने जन्म के महज 2 घंटे बाद ही अपने नवजात बेटे का गला घोंट दिया। मामले का खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद हुआ। पुलिस जांच में पता चला कि मां गुड्डी देवी (40) ने मानसिक तनाव और पारिवारिक परेशानियों के चलते यह कदम उठाया। बेटे की हत्या के बाद भी महिला के चेहरे पर कोई पछतावा नहीं दिखा। फिलहाल आरोपी महिला अस्पताल में भर्ती है, जिसे डिस्चार्ज होने के बाद गिरफ्तार किया जाएगा।

नवजात की हत्या करने वाली मां बनी खुद आरोपी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने खोला राज़
थानाधिकारी सुखराम चोटिया ने बताया कि अजीतसर निवासी मैना देवी ने अपनी बहन गुड्डी देवी के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसव के दो घंटे बाद ही नवजात कोई हरकत नहीं कर रहा था। डॉक्टरों ने जब जांच की, तो गले पर दबाव के निशान पाए गए। पूछताछ में गुड्डी देवी ने कबूल किया कि उसने बच्चे का मुंह दबाकर और गला घोंटकर हत्या की।
आर्थिक तंगी और बीमार पति से थी परेशान, मानसिक तनाव बना वजह
गुड्डी देवी की शादी 24 साल पहले ताराचंद से हुई थी। करीब 10 साल पहले ताराचंद को पैरालिसिस हो गया और तब से वह बिस्तर पर है। परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। पहले से चार बच्चों की मां गुड्डी मानसिक रूप से परेशान रहने लगी थी। प्रसव के बाद उसने कहा, “अब कौन कमाएगा, मैं और बच्चों को कैसे पालूंगी।” इसी तनाव में उसने यह दर्दनाक कदम उठा लिया।
अस्पताल स्टाफ को भी लगा शक, परिजन देर तक नहीं आए बच्चे को लेने
डीबी अस्पताल प्रशासन के अनुसार, महिला को प्रसव के बाद वार्ड में शिफ्ट किया गया था। बेटे के जन्म की जानकारी परिवार को दी गई, लेकिन कोई भी नवजात को लेने नहीं आया। लेबर रूम स्टाफ ने बताया कि महिला के पास गर्भावस्था की कोई जांच रिपोर्ट भी नहीं थी, जिससे शुरुआत से ही मामला संदिग्ध लग रहा था।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और सबूत जुटाए।
पुलिस कार्रवाई जारी, डिस्चार्ज के बाद होगी गिरफ्तारी
थाना कोतवाली पुलिस ने धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी फिलहाल अस्पताल में इलाजरत है। डिस्चार्ज होने के बाद उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस ने कहा है कि महिला की मानसिक स्थिति और पारिवारिक परिस्थितियों की भी जांच की जा रही है।
चूरू का यह मामला समाज के लिए एक चेतावनी है कि मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी किस भी इंसान को किस हद तक ले जा सकती है। एक मां द्वारा अपने ही बच्चे की हत्या समाज और प्रशासन दोनों के लिए सोचने का विषय है। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

