कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लघु वनोपज आधारित आजीविका को सशक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वनांचल क्षेत्रों में लघु वनोपजों को आजीविका का एक मजबूत साधन बनाया जाए और इससे जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाए। वन धन केंद्रों को मजबूती प्रदान करते हुए ‘छत्तीसगढ़ हर्बल’ और ‘संजीवनी’ जैसे उत्पादों को प्रमोट किया जाए ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इनकी बिक्री बढ़े, जिससे इन उत्पादों का बाजार विकसित हो और जैविक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को भी गति मिले।
मुख्यमंत्री ने औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए और अधिक से अधिक लोगों को इस खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए। धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में औषधीय पौधों की खेती के प्रयासों की जानकारी सभी उपस्थित डीएफओ को दी गई। औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने इस क्षेत्र में संभावनाओं और इससे लोगों की आजीविका को होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि औषधीय पौधों की खेती से परंपरागत उपचार पद्धतियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके प्रचार-प्रसार के लिए कृषि और उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले का सहयोग लिया जाए।
इससे पहले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में नशीली दवाओं और मादक पदार्थों के अवैध कारोबार पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नशे के कारण अन्य अपराधों को भी बढ़ावा मिलता है, इसलिए इस पर नियंत्रण के लिए अभियान चलाकर कार्रवाई करें। अंतरराज्यीय सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ PIT NDPS एक्ट के अंतर्गत समयसीमा में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। नशाखोरी के विरुद्ध व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाकर विशेष रूप से युवाओं को जागरूक किया जाए।
कलेक्टर-एसपी की बैठक में मुख्यमंत्री ने महिला और बालिकाओं से जुड़े अपराधों को लेकर भी विशेष चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और तत्परता से कार्रवाई हो। साथ ही इन अपराधों से जुड़े मामलों में तय समयावधि के भीतर चालान प्रस्तुत किए जाएं। बैठक में प्रदेश की कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई और जिलों के प्रदर्शन तथा नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।

