रायपुर/25 अगस्त 2025। खाद की किल्लत और कीमतों में हेराफेरी को भाजपा सरकार की दुर्भावना और किसान विरोधी षडयंत्र करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सहकारी सोसाइटियों में खाद नहीं है, किसान खाली हाथ निराश होकर लौट रहे हैं, खाद के अभाव में फसल की वृद्धि रूक गई है, निजी खाद दुकानों में 266 का यूरिया 1200 तक में बिक रहा है, 1350 के डीएपी के लिए 2000 रुपए प्रति बोरी चुकाना पड़ रहा है, किसान कर्ज लेकर ब्लैक में खाद खरीदने मजबूर हैं। पूरे प्रदेश में खाद की कमी और कालाबाजारी जोरों पर है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि खरीफ सीजन शुरू होने से 3 महीना पहले ही छत्तीसगढ़ के किसानों ने अपनी डिमांड से सरकार को अवगत करा दिया था 48 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में छत्तीसगढ़ में खरीद की फसल बोई गई है जिसके लिए 24 लाख टन उर्वरक की आवश्यकता है। डबल इंजन सरकार का दावा करने वाले भाजपा समय पर न रैक उपलब्ध करा पाई , ना सोसाइटी में भंडारण। केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल छत्तीसगढ़ को केवल 17 लाख टन खाद का आवंटन किया है, उसमें भी डीएपी की उपलब्धता में भारी कटौती की गई। अगर एक बोरी डीएपी की जगह तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया देना है तो अतिरिक्त 2 लाख टन यूरिया और 6 लाख टन एसएसपी दिया जाना चाहिए था, लेकिन यह सरकार केवल साढे तीन लाख टन एसएसपी का इंतजाम कर पाई है। प्रदेश में किसानों को लगभग 5 लाख टन यूरिया और 2 लाख टन डीएपी की तत्काल आवश्यकता है। जब केंद्र से प्रदेश को कम मात्रा में खाद उपलब्ध कराया गया है, तो ऐसी परिस्थिति में जितना भी खाद उपलब्ध हुआ, इसका भंडारण पहले सोसाइटियों के डिमांड के अनुरूप प्राथमिकता से सहकारी सोसाइटियों में करना चाहिए था लेकिन कमीशनखोरी के लालच में इस सरकार ने निजी दुकानदारों को ज्यादा खाद उपलब्ध कराया है, सत्ता के संरक्षण में बिचौलिए और कालाबाजारी करने वाले, किसानों को लूट रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि खाद के वितरण में सरकार का नियंत्रण कहीं दिख नहीं रहा है, जिसकी वजह से है किसान खाद की कमी और ओवर रेट के चलते शोषण के शिकार हो रहे हैं। भाजपा सरकार में किसानों की स्थिति लगातार दयनीय हो रही है। भाजपा के कुशासन में किसान आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष राज्यों में शामिल हो रहा है, अब इस तरह से उर्वरक संकट से उत्पादन को लेकर किसान चिंतित हैं, लेकिन सरकार का चरित्र शुतुरमुर्ग की तरह है।