रायपुर, 27 सितंबर 2025।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि क्या भाजपा नेता संविधान, कानून और जांच एजेंसियों के दायरे से बाहर हैं। कांग्रेस ने दिव्यांगों के नाम पर हुए 1000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले और नान घोटाले में भाजपा नेताओं की संलिप्तता पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि दिव्यांगों के लिए बनाए गए स्टेट रिसोर्स सेंटर और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर के नाम पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान भारी वित्तीय अनियमितता की गई। 2004 से 2018 तक रमन सरकार के कार्यकाल में 1000 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी सामने आई, जिसमें फर्जी भर्ती और वेतन निकासी जैसे घोटाले शामिल हैं। जांच रिपोर्ट में 31 अनियमितताएं उजागर हुई हैं, लेकिन अब तक असल गुनहगार नेताओं को बचाया जा रहा है।
सुरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि रमन सिंह के तीनों कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की पूरी तरह से जांच नहीं की गई है। उन्होंने सवाल किया कि उस दौरान के समाज कल्याण मंत्रियों और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही।
कांग्रेस प्रवक्ता ने नान घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा राशन घोटाला है, जिसमें गरीबों का 36 हजार करोड़ रुपये का राशन बेचा गया। इस घोटाले के मुख्य आरोपी और नान के पूर्व महाप्रबंधक शिवशंकर भट्ट ने न्यायालय में दिए बयान और शपथपत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को सरगना बताया था। भट्ट ने यह भी आरोप लगाया था कि भाजपा ने इसी घोटाले की रकम से 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था।
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि जब अधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है तो भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती। वर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार मामलों में दोहरा रवैया अपनाती है। एक ओर विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई तेज की जाती है, वहीं भाजपा नेताओं पर कार्रवाई से परहेज किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कोल परिवहन, भारतमाला मुआवजा और नशे से जुड़े मामलों में भाजपा नेताओं को संरक्षण मिला है। वहीं शराब घोटाले के एक आरोपी के संदिग्ध बयान पर विपक्ष के नेता के बेटे की गिरफ्तारी कर ली गई। लेकिन नान घोटाले में मुख्य आरोपियों के 164 के तहत बयान और शपथपत्र को नजरअंदाज किया जा रहा है।
कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और न्याय की हत्या बताते हुए सवाल उठाया कि क्या भाजपा के नेता वास्तव में कानून और जांच एजेंसियों से परे हैं।

