जशपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शुरू की गई फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी (FLN) योजना का उद्देश्य था – बच्चों को कक्षा 3 तक बुनियादी भाषा और गणित में दक्ष बनाना। लेकिन जशपुर जिले में यह महत्वाकांक्षी योजना केवल कागज़ों तक सीमित होकर रह गई है।
जिले में FLN कार्यक्रम को लेकर शिक्षा विभाग की सक्रियता केवल प्रशिक्षण आयोजनों तक सिमटी हुई है। शिक्षकों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन ज़मीनी स्कूलों में न कोई गतिविधि दिखाई दे रही है, न ही बच्चों में कोई उल्लेखनीय बदलाव।
प्रशिक्षण नहीं बन पा रहा परिणाममुखी
शिक्षकों को बार-बार FLN से जुड़ी कार्यशालाओं में बुलाया जा रहा है, लेकिन वे शिकायत करते हैं कि प्रशिक्षण व्यावहारिक नहीं, बल्कि सिर्फ औपचारिक खानापूर्ति बनकर रह गया है।
विद्यालयों में न तो समुचित टीचिंग-लर्निंग मटेरियल (TLM) है, और न ही सतत मूल्यांकन की कोई स्पष्ट कार्ययोजना।
विद्यालयों में नहीं दिख रहा FLN का असर
जिले के अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में FLN के लक्ष्य और अवधारणाओं के प्रति स्पष्टता का अभाव है। शिक्षकों को अभी तक दैनिक शिक्षण योजना (Lesson Plan) बनाने में मार्गदर्शन नहीं मिला। क्लासरूम में बच्चों को खेल आधारित, रुचिकर शिक्षण देने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं दिखते।
मॉनिटरिंग और समीक्षा भी लापरवाह
FLN कार्यक्रम की नियमित मॉनिटरिंग और मूल्यांकन की कोई प्रभावी प्रणाली जिला स्तर पर सक्रिय नहीं है। बीईओ और संकुल प्राचार्य स्तर पर भी निरीक्षण औपचारिक बन चुके हैं, जिससे न तो योजना की गुणवत्ता सुधर रही है और न ही शिक्षकों को मार्गदर्शन मिल पा रहा है।
बच्चों का भविष्य दांव पर
जब योजना का मुख्य उद्देश्य ही यह था कि बच्चे पढ़ना, लिखना और गणना करना सीखें, तब इतनी महत्त्वपूर्ण योजना का यूं काग़ज़ों में सिमटना शिक्षा की मूलभूत भावना के साथ अन्याय है। जशपुर जैसे आदिवासी बहुल जिले में FLN जैसी योजना स्कूल ड्रॉपआउट और शिक्षण गुणवत्ता सुधारने के लिए रामबाण साबित हो सकती थी, लेकिन प्रबंधन की निष्क्रियता ने इसे बेअसर बना दिया है।
अब ज़रूरत है ठोस कार्रवाई की
जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को चाहिए कि वे
– प्रशिक्षण को सिर्फ बैठकों तक सीमित न रखें
– स्कूलों में नियमित मॉनिटरिंग और मूल्यांकन की प्रभावी व्यवस्था बनाएं
– शिक्षकों को TLM और लर्निंग आउटकम आधारित शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराएं
– समुदाय, पालक और स्थानीय संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करें
FLN जैसी योजना तभी सार्थक होगी जब यह दिखावे से बाहर निकलकर बच्चों की कक्षा तक पहुंचेगी और उनके जीवन में बदलाव लाएगी।