सरकार ने मोबाइल सुरक्षा को और सख्त बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। दूरसंचार विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब भारत में बनने या बाहर से आने वाले हर नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा। कंपनियों को यह व्यवस्था लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। फोन सेटअप करते ही यह ऐप सामने दिखेगा और इसे न हटाया जा सकेगा, न ही डिसेबल किया जा सकेगा। यह नियम सभी मोबाइल कंपनियों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे वह एपल हो, सैमसंग हो, शाओमी, वीवो या कोई और ब्रांड।
इतना ही नहीं, जो फोन पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं या स्टोर्स में बिकने के लिए रखे हुए हैं, उनमें भी यह ऐप जोड़ना जरूरी होगा। इसके लिए कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट भेजकर यह ऐप उपलब्ध कराना होगा, और सभी निर्माताओं व आयातकों को 120 दिनों के भीतर DoT को रिपोर्ट देनी होगी कि उन्होंने आदेश का पालन कैसे किया।
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सरकार का कहना है कि संचार साथी ऐप को अनिवार्य इसलिए किया गया है क्योंकि यह मोबाइल सुरक्षा को मजबूत करता है। इस ऐप से फोन का IMEI नंबर चेक किया जा सकता है, IMEI फर्जीवाड़े की शिकायत की जा सकती है, खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है और फर्जी कॉल या धोखाधड़ी की जानकारी भी दी जा सकती है। सरकार ने फिर याद दिलाया कि IMEI से छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है—यह गैर जमानती श्रेणी में आता है और दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत इसमें तीन साल की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
DoT ने कंपनियों को साफ निर्देश दिया है कि संचार साथी ऐप फोन में खुलकर और स्पष्ट दिखाई देना चाहिए। इसकी किसी भी सुविधा को छुपाया या बंद नहीं किया जा सकता। अगर नियमों का पालन नहीं हुआ तो कंपनियों पर टेलीकॉम एक्ट 2023 और साइबर सुरक्षा नियम 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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इसी बीच सरकार ने WhatsApp, Signal और Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप्स पर भी नई सख्ती लागू की है। अब ये ऐप्स हमेशा यूज़र के सक्रिय सिम कार्ड से लिंक्ड रहेंगे। इनका वेब वर्जन हर छह घंटे में अपने-आप लॉगआउट हो जाएगा और दोबारा लॉगइन करने के लिए QR कोड स्कैन करना होगा। इन ऐप कंपनियों को भी 120 दिनों के भीतर अपनी ऑडिट रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी।

