रायपुर, 23 जुलाई
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सभी शासकीय स्कूलों में अब “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” संचालित किया जाएगा। इस अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देशात्मक पत्र जारी कर आवश्यक तैयारियां करने को कहा है।
यह अभियान प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक की शालाओं में चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के सीखने के स्तर में सुधार, शाला प्रबंधन में पारदर्शिता और समग्र शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाना है।
अभियान के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
सामाजिक अंकेक्षण: जिले की सभी शालाओं में निर्धारित तिथि को समुदाय की सहभागिता से बच्चों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन किया जाएगा और स्कूलों की ग्रेडिंग की जाएगी।
मानिटरिंग की सशक्त व्यवस्था: जनप्रतिनिधियों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों को चयनित शालाओं की निगरानी का दायित्व सौंपा जाएगा। इसके लिए कलेक्टरों से अधिकारियों की सूची भेजने को कहा गया है।
स्थानीय भाषा और गणितीय दक्षता पर ज़ोर: शिक्षा विभाग के अमले को स्कूल निरीक्षण के साथ-साथ बच्चों में बुनियादी कौशल विकास पर केंद्रित रहना होगा, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।
जिलों की रैंकिंग: अभियान के तहत जिलों की रैंकिंग की जाएगी, जिससे प्रतिस्पर्धात्मक भाव पैदा हो और सभी स्कूल उत्कृष्टता की दिशा में कार्य करें।
शैक्षणिक सहयोग हेतु मेंटर नियुक्ति: चयनित शालाओं को विभागों और महाविद्यालयों से मेंटर उपलब्ध कराए जाएंगे जो शैक्षणिक मार्गदर्शन देंगे।
संसाधनों का प्रभावी उपयोग और शिक्षकों को राहत: कलेक्टरों से अपेक्षा की गई है कि शिक्षकों को गैर-शिक्षकीय कार्यों से यथासंभव मुक्त रखते हुए उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
स्कूलों का कायाकल्प: अभियान के माध्यम से बच्चों की उपलब्धि के साथ-साथ शालाओं के आधारभूत ढांचे और संसाधनों में सुधार भी किया जाएगा। अन्य विभागों की योजनाओं से इसका समन्वय करने पर बल दिया गया है।
शाला संकुल के रूप में हाई-हायर सेकंडरी स्कूलों का विकास: ये शालाएं अन्य शालाओं के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगी। इसके लिए कार्यप्रणाली को मज़बूत किए जाने की आवश्यकता बताई गई है।
नवाचार और सहभागिता आधारित यह अभियान प्रदेश की सरकारी शिक्षा प्रणाली में एक नया विश्वास और नई दिशा देने की ओर संकेत कर रहा है।