जुलाई 2024 में मुंबई में हुए बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन मामले में आरोपी मिहिर राजेश शाह की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठे। आरोपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि गिरफ्तारी के समय उसे गिरफ्तारी के कारणों की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने की, जिसमें प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे। न्यायमूर्ति मसीह ने 52 पन्नों का फैसला लिखा। कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 22(1) केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यक्ति की स्वतंत्रता की मूल सुरक्षा है। इसलिए हर गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी दी जानी चाहिए। यह जानकारी लिखित रूप में और उसकी समझ की भाषा में दी जानी जरूरी है।
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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर गिरफ्तारी के समय लिखित जानकारी नहीं दी गई हो, तो गिरफ्तारी अमान्य नहीं मानी जाएगी, लेकिन यह जानकारी उचित समय पर और व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले लिखित रूप में देना अनिवार्य होगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर गिरफ्तारी के कारण नहीं बताए गए, तो गिरफ्तारी और बाद की रिमांड अवैध मानी जाएगी, और व्यक्ति को रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस फैसले की प्रति सभी उच्च न्यायालयों, राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को भेजी जाए ताकि इसका पालन सुनिश्चित हो सके।
यह फैसला नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे पुलिस की जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी गिरफ्तारी की संभावना कम होगी। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के कारणों से अनजान न रहे और उसे अपने अधिकारों की पूरी जानकारी हो।
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