राज्य में 2.73 करोड़ राशन कार्ड सदस्यों में से 38 लाख लोग ऐसे हैं, जिनका अब तक e-KYC नहीं हुआ है, जिनमें 34 लाख BPL और 4 लाख APL के सदस्य शामिल हैं। इन सभी को “संदिग्ध राशन कार्डधारी” माना जा रहा है।  जिन कार्डधारियों ने तय समय सीमा तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है, उनके कार्डों पर राशन वितरण फिलहाल रोक दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक पात्र हितग्राहियों को ही योजनाओं का लाभ मिले। अब फील्ड स्तर पर भौतिक सत्यापन शुरू हो चुका है।

KYC नहीं, तो राशन नहीं – 30 जून के बाद हुई कार्रवाई

सरकार ने सभी राशन कार्डधारियों को निर्देश दिए थे कि वे 30 जून 2025 तक अपने सभी सदस्यों का आधार से लिंक्ड e-KYC करवाएं। इसके लिए एक साल से अधिक का समय दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद 38 लाख से ज्यादा सदस्यों ने प्रक्रिया पूरी नहीं की।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन कार्डधारियों में से कई की शायद मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम अब तक कार्ड में बने हुए हैं। जबकि कुछ मामले ऐसे हो सकते हैं जो फर्जी लाभार्थियों से जुड़े हों। सरकार की आशंका है कि ऐसे नामों के ज़रिए वर्षों से राशन उठाया जा रहा था, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।

क्या है e-KYC और क्यों जरूरी है यह?

e-KYC यानी इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी (Know Your Customer) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें राशन कार्ड धारक अपने आधार कार्ड के माध्यम से अपनी पहचान सत्यापित करवाते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस प्रक्रिया के लिए लंबे समय तक मौका दिया था, जिसमें अंतिम तिथि 30 जून 2025 तय की गई थी।

भौतिक सत्यापन शुरू, केंद्र सरकार भी हुई सतर्क

राज्य सरकार ने अब भौतिक सत्यापन अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें राशन दुकानों और वार्ड स्तर पर जांच की जा रही है कि:

  • लाभार्थी वास्तव में मौजूद है या नहीं
  • कितने कार्ड एकल सदस्यीय हैं
  • कितने हितग्राही 12 महीनों से राशन नहीं ले रहे हैं
  • मृत्यु हो चुके सदस्यों के नाम क्यों नहीं हटाए गए

इस पूरे मुद्दे को लेकर अब भारत सरकार भी सतर्क हो गई है और उसने राज्य को विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि राशन कार्डों की सत्यता सुनिश्चित करना ज़रूरी है ताकि फर्जी लाभार्थियों पर रोक लगाई जा सके और योजनाओं का लाभ असली जरूरतमंदों तक पहुंचे।

5 साल में बढ़े 20 लाख नए राशन कार्ड – क्या ये भी फर्जी?

राज्य में पिछले 5 वर्षों में 20 लाख नए राशन कार्ड जोड़े गए हैं। सरकार को शक है कि इनमें से कुछ कार्ड नियमों के विरुद्ध बनाए गए होंगे। अब इन कार्डों की भी जांच हो रही है कि कहीं ये राजनीतिक लाभ, स्थानीय दबाव, या दस्तावेजी हेराफेरी के आधार पर तो नहीं बने। यदि ऐसा साबित होता है, तो यह PDS प्रणाली में देशव्यापी फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा मामला बन सकता है।

जिनका e-KYC नहीं हुआ, उनके लिए आगे क्या?

जिन हितग्राहियों का e-KYC नहीं हुआ है, वे:

  • अब भी अपने क्षेत्र की राशन दुकान या CSC केंद्र जाकर प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं
  • आधार कार्ड और राशन कार्ड साथ लेकर जाएं
  • प्रक्रिया पूरी होते ही राशन वितरण फिर से शुरू हो सकता है

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं है, बल्कि पात्र लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने की एक जरूरी प्रक्रिया है। छत्तीसगढ़ में राशन प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। e-KYC से न सिर्फ फर्जी लाभार्थियों की पहचान होगी, बल्कि जरूरतमंदों तक योजनाओं का लाभ सही ढंग से पहुंच सकेगा। क्या e-KYC अनिवार्य होना चाहिए? क्या यह कदम व्यवस्था सुधारने में सहायक होगा? अपनी राय कमेंट करें और यह जानकारी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों तक शेयर करें, ताकि कोई भी जरूरी सुविधा से वंचित न रहे।

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