देशभर के IIT अब अंग्रेजी के साथ-साथ भारतीय भाषाओं में भी पढ़ाई को बढ़ावा देंगे. छात्रों को इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी कोर्स अब अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ने का विकल्प मिलेगा. इसके लिए स्टडी मैटेरियल से लेकर रिसर्च तक हर स्तर पर बदलाव किए जाएंगे. केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई आईआईटी काउंसिल की 56वीं बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक में तमाम आईआईटी के डायरेक्टर और एक्सपर्ट शामिल हुए थे.
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भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई
बैठक में यह तय हुआ की आईआईटी अपने पाठ्यक्रमों को भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराएगा. अभी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से इंजीनियरिंग की किताबें हिंदी समेत 11 क्षेत्रीय भाषाओं तमिल, तेलुगु, उर्दू, मलयालम, बंगाली, असमिया, मराठी, कन्नड़, ओड़िआ, गुजराती और पंजाबी में तैयार की जा रही है. आईआईटी जोधपुर ने तो हिंदी में बीटेक पढ़ाई का विकल्प भी शुरू कर दिया है. आने वाले समय में दूसरे आईआईटी भी छात्रों को इसी तरह की सुविधा देंगे.
इंडस्ट्री का सहयोग भी अहम
बैठक में यह भी तय किया गया की आईआईटी अपने कैरिकुलम को इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार तैयार करें. इसके लिए रिसर्च से लेकर प्रोडक्ट डेवलपमेंट तक इंडस्ट्री का सहयोग लिया जाएगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे रिसर्च का लेवल वैश्विक होगा और भारतीय इनोवेशन को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. यूजीसी की प्रोफेसर और प्रैक्टिस स्कीम के तहत इंडस्ट्री के अनुभवी पेशेवरों को भी छात्रों को पढ़ाने का मौका मिलेगा.
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मानसिक स्वास्थ्य पर भी जोर
शिक्षामंत्री ने इस बैठक में कहा है कि आईआईटी की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी देना ध्यान देना जरूरी है. उन्होंने सुझाव दिया कि हर छात्र का सालाना हेल्थ चेकअप हो और संस्थान उनसे जुड़कर उनकी समस्याओं को समझे. बैठक में यह सहमति भी बनी की सभी आईआईटी अपने-अपने संस्थानों में स्पोर्ट्स कोटा लागू करेंगे. इससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भी पढ़ाई के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.