जीएसटी काउंसिल ने 40 लाख रुपये से ऊपर की लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। अगर यह लागू होता है तो भारत में टेस्ला, मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू और बीवाईडी जैसी कंपनियों की बिक्री पर सीधा असर पड़ सकता है। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब ऑटो इंडस्ट्री एक सरल जीएसटी संरचना की उम्मीद कर रही थी, जिसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के भाषण में दिए थे।

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GST 2.0 क्या है?
पीएम मोदी ने इशारा किया है कि सरकार जीएसटी का नया वर्जन (GST 2.0) लाने की तैयारी में है। इसमें टैक्स स्लैब मौजूदा चार दरों (5%, 12%, 18%, 28%) से घटकर सिर्फ दो होंगे – 5% और 18%। इसके अलावा, लग्जरी सामान और सेवाओं के लिए 40 प्रतिशत का एक नया स्लैब बनाया जाएगा।

इस कदम के पीछे सरकार का मकसद घरेलू खपत बढ़ाना है। खासकर तब जब अमेरिका ने भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाए हैं और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते तनाव में हैं।

आम कारें होंगी सस्ती
जीएसटी 2.0 के तहत लग्जरी कारों को छोड़कर बाकी सभी कारों पर टैक्स 28% से घटाकर 18% करने की योजना है। इससे कार खरीदने वालों को बड़ा फायदा होगा और फेस्टिव सीजन में बिक्री बढ़ सकती है। लंबे समय से कमजोर बिक्री से जूझ रही इंडस्ट्री के लिए यह कदम राहत ला सकता है।

लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों के लिए नई दरें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल ने 20 से 40 लाख रुपये तक की इलेक्ट्रिक कारों पर टैक्स 5% से बढ़ाकर 18% करने की सिफारिश की है। वहीं, 40 लाख से ऊपर की गाड़ियों पर टैक्स 28% करने का सुझाव दिया गया है। क्योंकि ये कारें ज्यादा महंगे सेगमेंट को टारगेट करती हैं और ज्यादातर आयातित होती हैं।

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लेकिन चूंकि 28% वाला टैक्स स्लैब खत्म किया जा रहा है, इसलिए काउंसिल के पास दो ही विकल्प हैं। या तो इन्हें 18% वाले स्लैब में डाल दे, या फिर नए 40% वाले लग्जरी श्रेणी में।

इस प्रस्ताव पर 3-4 सितंबर को चल रही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में हो रही जीएसटी काउंसिल की बैठक में विचार किया जा रहा है।

लग्जरी कार कंपनियों को बड़ा झटका
भारत में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी अभी छोटी है। जिनकी अप्रैल से जुलाई तक कुल कार बिक्री में सिर्फ 5% रही। लेकिन इममें बढ़ोतरी तेज है। इस दौरान ईवी बिक्री 93% बढ़कर 15,500 यूनिट्स तक पहुंच गई।

सरकार के दस्तावेज में कहा गया है कि ईवी अपनाने की रफ्तार बढ़ रही है। अभी 5% की दर इसीलिए रखी गई थी ताकि लोग ईवी की तरफ ज्यादा आकर्षित हों। लेकिन महंगी ईवी पर ज्यादा टैक्स लगाकर संदेश देना भी जरूरी है।

अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ तो मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, बीवाईडी और टेस्ला जैसी कंपनियों की बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा। घरेलू कंपनियां जैसे महिंद्रा और टाटा मोटर्स भी प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि उनकी महंगी ईवी की संख्या फिलहाल कम है। सबसे बड़ा झटका विदेशी कंपनियों को लगेगा, क्योंकि उनके पास ज्यादा लग्जरी ईवी मॉडल हैं।

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कंपनियों की राय: टैक्स बढ़ाना सही नहीं
विदेशी और घरेलू सभी कार कंपनियां चाहती हैं कि ईवी पर 5% की मौजूदा टैक्स दर बरकरार रखी जाए। उनका कहना है कि टैक्स बढ़ने से भारत का क्लीन मोबिलिटी मिशन धीमा हो जाएगा।

टाटा मोटर्स का कहना है कि टैक्स दरों को बढ़ाने से ईवी अपनाने की रफ्तार थम जाएगी। बीएमडब्ल्यू इंडिया ने कहा कि यह कदम ईवी पोर्टफोलियो बढ़ाने और स्थानीय उत्पादन के विजन को नुकसान पहुंचा सकता है। मर्सिडीज-बेंज का मानना है कि टैक्स बढ़ने का असर ज्यादातर एंट्री-लेवल लग्जरी ईवी पर होगा। जबकि उनके हाई-एंड मॉडल्स पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

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