छत्तीसगढ़ में आपातकालीन सेवाओं को और मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राज्य के 17 जिलों में डायल-112 सेवा के द्वितीय चरण का विस्तार जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसी के लिए 14 से 16 नवंबर 2025 तक नवा रायपुर के सेक्टर-03, ग्राम तेन्दुआ-02 में तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस प्रशिक्षण में बालोद, बलौदाबाजार-भाटापारा, बलरामपुर-रामानुजगंज, बेमेतरा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जशपुर, कांकेर, कोण्डागांव, कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, मुंगेली, नारायणपुर, सुकमा, सूरजपुर और गरियाबंद जिलों से लगभग 450 आरक्षक एवं प्रधान आरक्षक शामिल हुए।
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प्रशिक्षण की मुख्य झलकियाँ
ईआरयू वाहन संचालन और PFT उपयोग
पुलिस अधीक्षक डायल 112 अविनाश ठाकुर के निर्देशन में उप पुलिस अधीक्षक केपीएस ध्रुर्वे और तकनीकी विशेषज्ञ गौरव वर्मा ने पोर्टेबल फील्ड टर्मिनल (PFT) के संचालन की विस्तृत जानकारी दी।
आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रक्रिया
कॉल प्राप्त होने पर घटनास्थल पर तुरंत ईआरयू टीम भेजने, पीड़ितों तक त्वरित सहायता पहुँचाने और समन्वित प्रतिक्रिया देने की प्रक्रियाएँ समझाई गईं।
प्राथमिक उपचार एवं CPR प्रशिक्षण
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) के जॉइंट डायरेक्टर अमित गुप्ता और उनकी टीम—विशाल पांडेय, हर्ष पारिक और साहिल अब्बास—ने
- गंभीर चोट प्रबंधन
- रक्तस्राव नियंत्रण
- C & Spine सुरक्षा
- लॉग रोल तकनीक
- हेलमेट हटाने की सही विधि
- बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS)
- CPR
जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया।
कानूनी जागरूकता और सुरक्षा निर्देश
प्रतिभागियों को गुड समैरिटन कानून, गोल्डन आवर का महत्व, और खपच्ची के सुरक्षित उपयोग के बारे में विस्तार से बताया गया।
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डायल 112—अब तक लाखों लोगों की जान बचा चुका है
छत्तीसगढ़ में डायल 112 की आवश्यकता और उपयोगिता लगातार बढ़ रही है।
- 2018 से अब तक लगभग 1.70 करोड़ कॉल 112 पर प्राप्त हुईं
- इनमें से 46 लाख कॉल वास्तविक सहायता के योग्य थीं
- डायल 112 की मदद से 4,27,463 सड़क दुर्घटना पीड़ितों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान की गई
वर्तमान में राज्य के 17 जिलों—रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बस्तर, कबीरधाम, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा, सरगुजा, सक्ती, मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-गंडई-छुईखदान, गरियाबंद, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही—में डायल-112 सेवा संचालित है। दूसरे चरण में इसे शेष जिलों तक विस्तारित किया जाएगा।
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कॉल करने वालों की पहचान रहती है पूरी तरह गोपनीय
पुलिस विभाग ने स्पष्ट किया है कि 112 पर कॉल करने वाले नागरिकों की पहचान पूरी तरह सुरक्षित और गोपनीय रखी जाती है।
किसी भी कॉलर को किसी कानूनी प्रक्रिया या कोर्ट के चक्कर में नहीं पड़ना पड़ता—यह सेवा पूरी तरह सुरक्षित और भरोसेमंद है।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में उप पुलिस अधीक्षक स्वाति मिश्रा, निरीक्षक राजेश चंद्र शाही, उप निरीक्षक सिंधु साहू सहित डायल 112 के सभी अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। विभाग का मानना है कि यह उन्नयन प्रशिक्षण प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है और इससे सेवा की दक्षता और प्रतिक्रिया क्षमता दोनों में महत्वपूर्ण सुधार होगा।डायल 112 का यह विस्तार छत्तीसगढ़वासियों को और अधिक त्वरित, सुरक्षित एवं प्रभावी आपातकालीन सहायता प्रदान करने में मील का पत्थर साबित होगा।
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