केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए 5 साल पहले बनाए गए 4 नए लेबर कोड्स को लागू करने की घोषणा कर दी है। ये कोड अब पूरे देश में 29 पुराने श्रम कानूनों की जगह लेंगे। इससे वेतन, नौकरी की सुरक्षा, ओवरटाइम, सामाजिक सुरक्षा और काम के घंटों से जुड़े नियमों में कई बड़े बदलाव लागू हो जाएंगे। यह फैसला बिहार में NDA की जीत के ठीक एक हफ्ते बाद आया है, जब केंद्र ने कामगारों के लिए सबसे व्यापक सुधार पेश किए। नए लेबर कोड्स का मकसद मजदूरों और कर्मचारियों को मजबूत सुरक्षा और कंपनियों को आसान प्रक्रिया देना है।
नए लेबर कोड से क्या बदलेगा?
अब देशभर के सभी मजदूर—चाहे फिक्स्ड-टर्म, असंगठित या गिग वर्कर हों, PF, ESIC, बीमा और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे।1 साल नौकरी करने वाले फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी अब प्रो-राटा ग्रेच्युटी मिलेगी। 40 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों के लिए साल में एक बार स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी।
नए लेबर कोड के 20 बड़े बदलाव (सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन)
सरकार द्वारा लागू किए गए इन नए कानूनों में 20 बड़े सुधार शामिल हैं:
- पूरे देश में एक जैसी न्यूनतम मजदूरी (Statutory Floor Wage)।
- वेतन की नई परिभाषा: 50% से कम बेसिक पे नहीं।
- महिला–पुरुष के वेतन में समानता।
- 24,000 तक कमाने वालों के लिए समय पर वेतन गारंटी।
- ओवरटाइम का भुगतान अब दोगुना।
- छंटनी/बंद करने की मंजूरी सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर्मचारियों पर।
- सर्विस सेक्टर में Work From Home को आधिकारिक बढ़ावा।
- विवाद समाधान के लिए दो-सदस्यीय Industrial Tribunal।
- हड़ताल से पहले 14 दिन का नोटिस अनिवार्य।
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा का लाभ।
- फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, 1 साल की नौकरी पर भी।
- निरीक्षण अब रैंडम और कंप्यूटराइज्ड।
- छोटे मामलों में सीधे जुर्माना देकर मामला खत्म (Compounding)।
- लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और रिटर्न अब पूरी तरह ऑनलाइन।
- ‘वन लाइसेंस–वन रजिस्ट्रेशन’ व्यवस्था।
- हर कर्मचारी को अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य।
- महिलाओं को नाइट शिफ्ट की अनुमति—सुरक्षा के साथ।
- कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट अब 50+ कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स पर लागू।
- फैक्ट्री की नई परिभाषा: पावर 10→20, बिना पावर 20→40 कर्मचारी।
- हफ्ते में 48 घंटे काम—घंटे बढ़ सकते हैं, पर ओवरटाइम दोगुना।
ये 20 बदलाव कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ाते हैं और कंपनियों के लिए प्रक्रियाएं सरल बनाते हैं।
कंपनियों और कर्मचारियों दोनों के लिए लाभकारी
नए कोड्स से जहां कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा, तय वेतन और ज्यादा पारदर्शिता मिलेगी, वहीं कंपनियों को लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और इंस्पेक्शन जैसी प्रक्रियाओं से बड़ी राहत मिलेगी। वर्क-फ्रॉम-होम को बढ़ावा मिलने से सर्विस सेक्टर में दूरस्थ कार्य और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
चारों नए लेबर कोड भारत की रोजगार व्यवस्था में दशकों का सबसे बड़ा परिवर्तन हैं। इनसे मजदूरों को सुरक्षा मिलेगी, कंपनियों को सुविधा और देश में श्रम कानूनों में आधुनिक सुधार का रास्ता खुलेगा। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

