संघर्ष ने दिलाई इन्हें सफलता, युवाओं के लिए हैं प्रेरणा

admin
Updated At: 12 Jan 2023 at 06:33 PM
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई अध्यात्मिक नहीं बना सकता तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है... ये बातें भारत के उस महान संत ने कही थीं, जिसने करोड़ों युवाओं को उठो जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए का मंत्र दिया था। जिसे आज भी युवा सीख की तरह लेते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। आज पूरा देश 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद की जयंती के रूप में विश्व युवा दिवस मना रहा है। आज हम हम आपको कुछ ऐसी शख्सियतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हेंने कम उम्र में ही सफलता की उंचाइयों को छुआ है। आइए जानते हैं इनके बारे में...पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुआ था। पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। सिंधु के माता पिता दोनों ही राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। पीवी सिंधु ने अखिल भारतीय रैंकिंग चैम्पियनशिप और सब-जूनियर नेशनल जैसे जूनियर बैडमिंटन खिताब जीते। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय लेवल की खिलाड़ी बन गईं। साल 2009 में सिंधु ने सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। वहीं एक साल बाद ईरान में अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैलेंज में एकल रजत जीता। ये पीवी सिंधु की लगन और मेहनत का नतीजा ही था कि साल 2012 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की। जिस मंच पर एक साल पहले सिंधु ने कांस्य पदक जीता था, वहीं अब उन्होंने अपना पहला स्वर्ण हासिल किया था।विश्व की सात महाद्वीपों की चोटी पर तिरंगा फहराने वाली एकमात्र दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा की कहानी युवाओं के लिए किसी प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है। एक पैर कृत्रिम होने के बाद भी एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाली पद्मश्री अरुणिमा सिन्हा ने एक हादसे में अपना पैर गंवा दिया था, लेकिन उनका हौंसला कम नहीं हुआ। उन्होंने इस घटना के दो साल बाद ही दुनिया की सबसे ऊंचे पर्वत को फतह कर लिया था। वह कहती हैं कि जरूरी नहीं कि आप सबसे मजबूत हों, अपनी कमजोरी को अपनी मजबूती बना सकते हैं। बाज को ही देखिए, कैसे वह अपनी दूसरी जिंदगी के लिए खुद को मृत्यु जैसा कष्ट देकर नया जीवन पा लेता है ताकि अपने बलबूते दुनिया जी सके। अगर कोई भी बड़ा लक्ष्य पाना है तो छोटे-छोटे लक्ष्य तय करते जाइए। उन्हें हासिल करते जाइए, सफलता आपकी झोली में होगी। आईएएस अधिकारी सिमी करन मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली हैं, लेकिन वह छत्तीसगढ़ के भिलाई में पली बढ़ी हैं। उन्होंने शुरुआत की पढ़ाई भी यहीं से की है। सिमी ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की है। उन्होंने बारहवीं में 98.4 प्रतिशत अंक पाया था और पूरे स्टेट में टॉप किया था। सिमी करन ने बिना किसी कोचिंग के ही पहली कोशिश में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। उनके ग्रेजुएशन की पढ़ाई मई 2019 में खत्म हुई और जून में यूपीएससी की परीक्षा दी। उन्होंने स्मार्ट तरीके से पढाई की और परीक्षा पास कर लिया। सिमी को यूपीएससी की सिविल सर्विसेज एग्जाम-2019 में ऑल इंडिया में 31वीं रैंक मिली। वह सिर्फ 22 साल की उम्र में ही आईएएस अधिकारी बन गईं। वह सर्वश्रेष्ठ प्रशिङक्षु अधिकारी भी चुनी गई हैं। भारतीय मूल के सुंदर पिचाई का वास्तविक नाम सुंदराजन है। उनका जन्म मदुरै (तमिलनाडु) में 1972 में हुआ था। लेकिन वो चेन्नई में पले-बढ़े। सुंदर पिचाई ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई सीबीएसई से मान्यता प्राप्त जवाहर विद्यालय से और 12वीं वना वाणी स्कूल से की। 12वीं करने के बाद पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री प्राप्त की। अपने बैच में उन्हें सिल्वर मेडल मिला। स्कॉलरशिप की मदद से अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैटीरियल साइंस में एमएस किया, और इसके बाद पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली। खबरों के मुताबिक, पिचाई के12वीं में 75 प्रतिशत नंबर आए थे। भारतीय मूल के गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई को बिजनेस के सेक्टर के लिए साल 2022 का पद्म भूषण सम्मान दिया गया है। सुंदर पिचाई भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं। 2019 में उन्हें गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट का सीईओ नियुक्त किया गया, यानि वे कंपनी के सबसे सर्वोच्च पद पर पहुंच गए। उनकी सफलता आईटी सेक्टर में काम कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणा है। ऋषि सुनक ने 2014 में पहली बार राजनीति में कदम रखा। 2015 में उन्होंने रिचमंड से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने एक बार फिर जीत मिली। इसके बाद 13 फरवरी 2020 को उन्हें इंग्लैंड का वित्त मंत्री बनाया गया। वह कई सरकारों में रहे। आखिरकार उन्हें ब्रिटेन के पीएम पद तक पहुंचने का मौका मिला। जो उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। ऋषि ने भारत के बड़े उद्योगपतियों में शुमार इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है। सुनक और अक्षता की दो बेटियां हैं। उनकी बेटियों के नाम अनुष्का सुनक और कृष्णा सुनक है। युवाओं के लिए सबसे बड़ी सीख उनसे यह लेनी चाहिए कि वह अपने लक्ष्य को लेकर केंद्रित रहें। एक दिन उन्हें सफलता जरूर मिलेगी।
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