मध्य प्रदेश में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीने से 14 मासूम बच्चों की जान चली गई। इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। केंद्र सरकार ने तुरंत सभी राज्यों को सतर्क करते हुए एडवाइजरी जारी की। छत्तीसगढ़ ने इस पर तेज़ी से एक्शन लिया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग अब पूरी तरह अलर्ट मोड में है। तय किया गया है कि अब प्रदेश में कोई भी मेडिकल स्टोर बिना डॉक्टर की पर्ची के कफ सिरप या कंबिनेशन दवाएं नहीं देगा। यह फैसला सिर्फ औपचारिक नहीं है — इसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
रविवार को इस मसले पर एक उच्च स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) से सीधे बातचीत की। मेडिकल स्टोरों पर सरप्राइज निरीक्षण शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
अभी तक राहत की बात ये है कि ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप का कोई डिपो छत्तीसगढ़ में नहीं है, लेकिन उसी फार्मूले पर बनी दूसरी दवाएं बाजार में मौजूद हैं। अब वे भी FDA की मंजूरी के बिना नहीं बिकेंगी। राजधानी रायपुर में लगभग 3,000 और पूरे प्रदेश में करीब 8,000 मेडिकल स्टोर हैं। प्रदेश में दवा कारोबार करीब 500 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
इस बीच सरकार ने तीन वर्गों के लिए विशेष एडवाइजरी भी जारी की है — मरीज, डॉक्टर और मेडिकल स्टोर संचालक।
अगर आपका बच्चा सर्दी, खांसी या बुखार से पीड़ित है और छह घंटे तक पेशाब नहीं करता, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी हालत में झोलाछाप डॉक्टर के पास न जाएं। स्वच्छता का ध्यान रखें और इलाज सिर्फ सरकारी या पंजीकृत अस्पतालों से कराएं।
डॉक्टरों से कहा गया है कि वे बच्चों की गंभीरता से निगरानी करें और यदि जरूरी लगे तो उच्च स्तरीय इलाज के लिए रेफर करें। मेडिकल स्टोरों को साफ निर्देश है कि बिना प्रिस्क्रिप्शन कोई दवा न दी जाए, खासकर कफ सिरप या कंबिनेशन ड्रग्स।
सरकार इस मसले को हल्के में नहीं ले रही है। जल्द ही पूरे प्रदेश में मेडिकल दुकानों की जांच शुरू होगी और आम लोगों को भी जागरूक करने के लिए जन-संवाद और प्रचार अभियान चलाया जाएगा।
ये फैसला दिखाता है कि एक राज्य की लापरवाही पूरे देश को अलर्ट कर सकती है। लेकिन छत्तीसगढ़ ने समय रहते कदम उठाया है — ताकि यहां किसी की मासूम जान लापरवाही की भेंट न चढ़े।

