ओडिशा के विश्वप्रसिद्ध कोणार्क सूर्यमंदिर में अब पर्यटक नाटमंडप पर नहीं चढ़ सकेंगे। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने स्मारक की सुरक्षा और संरचना को बचाने के उद्देश्य से यह बड़ा कदम उठाया है। नया नियम शुक्रवार से लागू कर दिया गया है।
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सुरक्षा और संरक्षण के मद्देनज़र फैसला
ASI के अनुसार, लगातार बढ़ रही सुरक्षा संबंधी घटनाओं और स्मारक को नुकसान के खतरे को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। कई बार पर्यटक नाटमंडप की ऊंचाई पर चढ़कर सेल्फी लेते या फोटो खींचते समय फिसलकर घायल हो जाते थे। स्मारक के किनारों पर सुरक्षा घेरे की कमी से ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही थीं।
एएसआई की समीक्षा में पाया गया कि नाटमंडप पर चढ़ना न केवल पर्यटकों के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि स्मारक की ऐतिहासिक संरचना को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
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अब नीचे से ही देख सकेंगे नाटमंडप
एएसआई पुरी सर्कल के अधीक्षक डी. बी. गडनायक ने बताया कि आदेश लागू होते ही नाटमंडप पर चढ़ने पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। अब पर्यटक नीचे रहकर ही नाटमंडप की परिक्रमा कर सकेंगे और आसपास स्थित कलात्मक मूर्तियों व शिल्पकला का अवलोकन कर पाएंगे।
स्थानीय गाइडों को भी नए निर्देशों की जानकारी दे दी गई है और सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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क्यों अहम है नाटमंडप?
कोणार्क का नाटमंडप सदियों पुराना वास्तुकला का अनमोल नमूना है। पर्यटक अक्सर यहां चढ़कर यह देखते थे कि सूर्योदय की पहली किरण कैसे मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थित अष्टधातु सूर्य प्रतिमा पर पड़ती है। यही कारण था कि यह स्थान पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है।ASI का यह निर्णय भले ही पर्यटकों के अनुभव को सीमित करे, लेकिन स्मारक की सुरक्षा और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए इसे जरूरी कदम माना जा रहा है।

