50 हजार से ज्यादा बकाया हुआ तो कट जाएगी बिजली: आज से घर-घर पहुंचेगी कलेक्शन टीम
पूर्वी भारत में मौसम की गतिविधियों पर ध्यान रखने वालों के लिए अब एक और खबर है। कृषि मौसम विज्ञानी देबाशीष जेना ने चेतावनी दी है कि 22 नवंबर के आसपास बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व हिस्से में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ में आज से लागू होंगी जमीन की नई गाइडलाइन दरें
जेना के अनुसार, नवीनतम मौसम मॉडल यह संकेत दे रहे हैं कि यह नया निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर उभर सकता है और यह धीरे-धीरे दक्षिण-पश्चिम की दिशा में बढ़ सकता है। हालांकि अभी तक इस प्रणाली की सटीक दिशा और तीव्रता के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। यह प्रणाली पिछले निम्न दबाव की दिशा का अनुसरण करती प्रतीत हो रही है, लेकिन इसके असर का सही अंदाजा अभी कुछ और समय बाद ही लगाया जा सकता है।इस प्रणाली के असर से ओडिशा में 26 से 30 नवंबर के बीच बारिश की संभावना जताई जा रही है। विशेषकर राज्य के दक्षिणी हिस्सों में गंजम, गजपति, रायगढ़, मलकानगिरी, कोरापुट और नबरंगपुर जिलों में एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा होने की आशंका है।बारिश के बाद रात का तापमान बढ़ने की संभावना है। इससे 25 नवंबर के बाद शीतलहर की स्थिति में कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि बारिश और बादलों के कारण ठंडी हवा का असर कम हो जाएगा।
Free AI Programs: सरकार ने शुरू किए फ्री एआई कोर्स छात्रों, शिक्षकों और प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा मौका, एक क्लिक में जानें पूरी जानकारी
कृषि और आम जनजीवन पर असर
- कृषि क्षेत्र: बारिश से खरीफ फसलों को लाभ होगा, लेकिन कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा होने पर पानी भराव और फसल नुकसान का खतरा भी रह सकता है।
- आम जनता: बारिश के दौरान नदी और नाले उफान पर आ सकते हैं, इसलिए ग्रामीण और नदी किनारे रहने वाले लोग सतर्क रहें।
- यातायात: दक्षिणी ओडिशा में भारी वर्षा के चलते सड़क और रेल यातायात प्रभावित हो सकता है।
कृषि मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बनने वाला यह नया निम्न दबाव क्षेत्र आने वाले एक सप्ताह के मौसम की दिशा तय कर सकता है। फिलहाल जनता और किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है, साथ ही मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट और अपडेट पर लगातार नजर रखनी चाहिए।यह घटना पूर्वी भारत के मौसम पर गहरी असर डाल सकती है, खासकर ओडिशा के दक्षिणी जिलों में जहां भारी बारिश की संभावना है और शीतलहर का प्रभाव अस्थायी रूप से कम हो सकता है।


