सोमवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 (New Income Tax Bill 2025) पारित हुआ और इसमें जहां 63 साल पुराने अधिनियम के कई कानूनों को बरकरार रखा गया है, तो वहीं कई नए संशोधनों को भी लागू किया गया है. इनमें दो अहम चीजों के बारे में बात करें, तो पहली ये है कि सरकार ने मौजूदा टैक्स एक्ट की तरह ही टीडीएस दावों (TDS Claim) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की सुविधा और दूसरी धार्मिक-सह-धर्मार्थ ट्रस्टों को दिए गए गुमनाम दान पर टैक्स छूट (Tax Relief) को जारी रखा है.
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डेडलाइन के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने नया आयकर विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया. गौरतलब है कि आयकर विधेयक 2025 को बीते 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था और इस मूल आयकर विधेयक में टीडीएस रिफंड से जुड़ी एक सुविधा को समाप्त करते हुए प्रावधान यह किया गया था कि TDS Redund पाने के लिए टैक्सपेयर्स को निर्धारित तारीख के भीतर ही आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा.
लेकिन, संशोधित इनकम टैक्स बिल में भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में 31 सदस्यीय प्रवर समिति की जांच के बाद दिए गए सुझावों को शामिल करते हुए अब इस छूट को जारी रखा गया है. ये उन लोगों के लिए राहत भरा है, जो तय समय में आईटीआर दाखिल करना बाध्यकारी न होने के बावजूद टीडीएस का रिफंड लेना चाहते हैं. टीडीएस सुधार विवरणों के संबंध में, आयकर अधिनियम, 1961 में डिटेल दाखिल करने की समयावधि छह वर्ष से घटाकर दो वर्ष कर दिया गया है. पीटीआई के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के सूत्रों ने कहा कि इससे कर कटौतीकर्ताओं की शिकायतों में काफी कमी आने की उम्मीद है.
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गुमनाम दान पर भी Tax छूट जारी
प्रवर समिति के एक और सुक्षाव को भी संशोधित टैक्स बिल में शामिल किया गया है. इसके मुताबिक, गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) या धर्मार्थ ट्रस्टों को दिए गए दान पर टैक्सेशन के संबंध में आयकर 1961 के प्रावधानों को बहाल किया गया है. यानी सभी धार्मिक-सह-धर्मार्थ ट्रस्टों को दिए गए गुप्त दान पर कर छूट जारी रहेगी. विधेयक के मुताबिक, किसी धार्मिक ट्रस्ट को मिले उस गुप्त दान पर कानून के मुताबिक टैक्स लागू होगा, जो अस्पताल या शैक्षणिक संस्थान चलाने जैसे अन्य कार्य भी करते हों.
नए इनकम टैक्स बिल में क्या बदलाव हुए हैं
आयकर (संख्या 2) विधेयक के प्रावधान 187 में ‘पेशा’ शब्द जोड़कर ऐसे पेशेवरों को, जिनकी सालाना प्राप्तियां 50 करोड़ रुपये से ज्यादा हों, निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यम अपनाने की सुविधा दी गई है। इसके अलावा, आय में घाटे को आगे ले जाने और समायोजित करने से संबंधित प्रावधानों को बेहतर ढंग से पेश करने के लिए नए सिरे से बनाया गया है। इसके अलावा टीडीएस दावों में सुधार के विवरण दाखिल करने की समयसीमा भी घटाकर दो साल कर दी गई है जो आयकर अधिनियम, 1961 में छह साल थी।
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पेशेवरों को ई-सुविधा देने की पहल
New Tax Bill में आयकर (संख्या 2) विधेयक में धारा 187 में ‘पेशा’ शब्द जोड़ा गया है जिससे कि एक वर्ष में 50 करोड़ रुपये से अधिक की कुल प्राप्तियों वाले पेशेवरों को भुगतान के निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक तरीकों की सुविधा मिल सके. ये टैक्स बिल, जो आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा, इसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल की गई हैं. समिति ने बीते 21 जुलाई को संसद को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.