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अंबिकापुर (सरगुजा), 21 अक्टूबर:
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित अंबिकापुर सेंट्रल जेल से दो विचाराधीन कैदियों के फरार होने की घटना ने जेल प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दीपावली की रात जेल वार्ड से दोनों कैदी चकमा देकर फरार हो गए, जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। यह 15 दिनों में दूसरी बड़ी चूक है।
तीन बजे के करीब वारदात, सुरक्षाकर्मी को भनक तक नहीं
सूत्रों के मुताबिक, रितेश सारथी (ग्राम अंधला, लखनपुर) और पवन पाटिल (ग्राम जमड़ी, भैयाथान, सूरजपुर) को तबीयत बिगड़ने पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया गया था। लेकिन दीपावली की रात करीब तीन बजे, दोनों कैदी सुरक्षा कर्मियों की आंखों में धूल झोंकते हुए फरार हो गए। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ड्यूटी पर मौजूद प्रहरियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
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गंभीर अपराधों में आरोपी थे दोनों कैदी
जानकारी के अनुसार, फरार कैदी रितेश सारथी पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार विचाराधीन बंदी था, जबकि पवन पाटिल एनडीपीएस एक्ट का आरोपी था, जिसे सूरजपुर जेल से अंबिकापुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। घटना की पुष्टि करते हुए सेंट्रल जेल अधीक्षक अक्षय राजपूत ने बताया कि पुलिस को तत्काल सूचित कर दिया गया है और फरार कैदियों की तलाश के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।
15 दिनों में दूसरी घटना, सुरक्षा पर सवाल
यह घटना इसलिए और गंभीर मानी जा रही है क्योंकि पिछले 15 दिनों में यह दूसरी बार है जब किसी कैदी के फरार होने की खबर आई है। इससे पहले, 4 अक्टूबर की रात, बिलासपुर के मस्तूरी थाना क्षेत्र निवासी मुकेश कांत भी अंबिकापुर जेल से शिफ्ट किए जाने के बाद बिलासपुर जेल से फरार हो गया था। हालांकि वह दो दिन बाद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।
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जेल में वसूली और प्रताड़ना के आरोप भी सामने आए थे
इससे पहले भी अंबिकापुर सेंट्रल जेल में वसूली और बंदियों की प्रताड़ना के आरोप लग चुके हैं। बंदी मुकेश कांत की पत्नी अमेरिका बाई कुर्रे ने कलेक्टर से शिकायत की थी कि जेल के कुछ कर्मचारी पैसे की मांग कर रहे थे और न देने पर जातिगत गालियां और शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना कर रहे थे। इस पर एक्शन लेते हुए तीन जेल कर्मियों को बर्खास्त किया गया था।
प्रशासन सतर्क, पुलिस ने शुरू की तलाशी अभियान
फरार कैदियों की तलाश के लिए पुलिस और प्रशासन ने सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। अंबिकापुर, लखनपुर, भैयाथान और अन्य इलाकों में नाकेबंदी कर जांच की जा रही है। प्रशासन किसी भी प्रकार की कोताही बरतने के मूड में नहीं है। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और सुरक्षा तंत्र की विफलताओं को उजागर कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि फरार कैदी कब तक पकड़ में आते हैं और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।.
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