नई दिल्ली | भारत में डिजिटल लेनदेन को और सरल और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) मिलकर UPI सिस्टम में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में हैं। जल्द ही UPI पेमेंट्स के लिए यूजर्स को PIN दर्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के ज़रिए—जैसे कि फिंगरप्रिंट या फेस ID से—भुगतान की पुष्टि की जा सकेगी।
PIN की जगह बायोमेट्रिक से मंजूरी
वर्तमान में UPI ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए 4 से 6 अंकों का PIN डालना होता है। यह प्रक्रिया जहां एक ओर सुरक्षा सुनिश्चित करती है, वहीं कई यूजर्स—विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों—के लिए यह जटिल भी बन जाती है। ऐसे में फिंगरप्रिंट या फेस ID से सीधे पेमेंट मंजूर होने से प्रक्रिया तेज और सरल हो जाएगी।
डिजिटल भुगतान में आएगी क्रांति
विशेषज्ञों के अनुसार, बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से न केवल धोखाधड़ी की आशंका कम होगी, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में असहज महसूस करने वाले लोग भी आत्मविश्वास से भुगतान कर सकेंगे। इससे डिजिटल भुगतान की पहुंच और सुरक्षा—दोनों में इजाफा होगा।
UPI सिस्टम में हो रहे हैं अन्य बदलाव भी
NPCI ने ट्रांजैक्शन लोड को संतुलित करने के लिए ऑटो-डेबिट भुगतान जैसे EMI और OTT सब्सक्रिप्शन को सिर्फ कुछ खास समय—सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे के बीच, या रात 9:30 बजे के बाद—ही प्रोसेस करने का निर्णय लिया है।
साथ ही, अब एक दिन में कोई भी यूजर केवल 25 बार ही अपने बैंक अकाउंट की जानकारी देख सकेगा। वहीं, यदि कोई UPI पेमेंट पेंडिंग है, तो उसका स्टेटस चेक करने का मौका सिर्फ तीन बार मिलेगा और हर बार कम से कम 90 सेकंड का अंतराल रखना होगा।
डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम
बायोमेट्रिक आधारित UPI पेमेंट्स की यह नई व्यवस्था डिजिटल इंडिया अभियान को और मजबूती देगी। इससे भारत की बड़ी आबादी को बिना तकनीकी जटिलताओं के, आसान और तेज डिजिटल लेनदेन की सुविधा मिल सकेगी। माना जा रहा है कि यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से विभिन्न बैंकों और भुगतान ऐप्स के ज़रिए जल्द लागू किया जा सकता है।