केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की अधिसूचना जारी होते ही कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में हड़कंप मच गया है। आयोग की ‘संदर्भ की शर्तें’ (Terms of Reference) को लेकर यूनियनों ने तीखी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह आयोग अब कर्मचारियों की उम्मीदों पर नहीं, बल्कि राजकोषीय अनुशासन और सरकारी बचत पर केंद्रित हो गया है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इसे “सरकारी कर्मचारियों के साथ अन्याय” बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ज्ञापन सौंपा है।
कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ी, सरकार पर ‘विचलन’ का आरोप
8वें वेतन आयोग के टीओआर (TOR) में इस बार कर्मचारियों के वेतन ढांचे और पेंशन संशोधन पर मुख्य फोकस न रखकर, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राजकोषीय विवेक पर जोर दिया गया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह पिछली परंपरा से “विचलन” है और इससे 69 लाख पेंशनभोगियों को नुकसान होगा। श्रीकुमार ने कहा — “ऐसा लगता है जैसे सरकार कर्मचारियों की अपेक्षाओं को दरकिनार कर, वित्तीय बचत के नाम पर उनके अधिकार छीनना चाहती है।”
पेंशनरों की चिंता बढ़ी, OPS की मांग फिर तेज
कर्मचारी यूनियनों ने आरोप लगाया है कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को टीओआर से जानबूझकर बाहर रखा गया है। श्रीकुमार ने कहा, “यह सरकारी कर्मचारियों की वृद्धावस्था सुरक्षा की घोर उपेक्षा है।” ज्ञापन में मांग की गई है कि 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को भी सीसीएस पेंशन नियम 1972 (अब 2021) के तहत पुरानी पेंशन बहाल की जाए। उन्होंने कहा कि 26 लाख से ज्यादा एनपीएस (NPS) कर्मचारी इस फैसले से निराश हैं।
‘राजकोषीय अनुशासन के नाम पर अन्याय’
श्रीकुमार ने कहा कि 8वें वेतन आयोग की शर्तें 7वें वेतन आयोग से पूरी तरह अलग हैं। आयोग को कर्मचारियों की आकांक्षाओं पर नहीं, बल्कि “वित्तीय अनुशासन” पर केंद्रित किया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि हर पांच साल में पेंशन में 5% वृद्धि और 2016 से रुकी पेंशन संशोधन प्रक्रिया को फिर शुरू किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अब एकजुट होकर विरोध करना चाहिए ताकि “राजकोषीय अनुशासन के नाम पर अन्याय” रोका जा सके।
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना ने कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच नई बहस छेड़ दी है। सरकार के ‘आर्थिक विवेक’ पर केंद्रित टीओआर को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या सरकार कर्मचारियों की आवाज सुनेगी या नहीं। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

