हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज घाटी में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि हर कोई सहम उठा। आसमान से अचानक ऐसी बारिश बरसी, मानो पूरा बादल ही जमीन पर फट पड़ा हो। बादल फटने की इस घटना ने पूरे इलाके को पानी-पानी कर दिया और चारों ओर तबाही का मंजर फैल गया। सवाल उठता है – आखिर ये बादल फटना होता क्या है, जो कुछ ही मिनटों में तबाही की वजह बन जाता है? इस रिपोर्ट में जानिए बादल फटने की वजह, इसका वैज्ञानिक कारण और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में क्यों बार-बार होती है यह खतरनाक घटना।
बादल फटना क्या होता है
बादल फटना यानी Cloudburst एक बेहद खतरनाक प्राकृतिक आपदा है, जो कुछ ही मिनटों में भारी तबाही मचा सकती है। यह घटना खासकर पहाड़ी इलाकों में अधिक होती है।
कैसे होता है बादल फटना?
- जब गर्म हवा ज़मीन से ऊपर की ओर उठती है और भारी मात्रा में नमी वाले बादलों को ऊपर ले जाती है।
- वहां बारिश की बूंदें एकत्र होकर भारी हो जाती हैं, लेकिन तेज हवा उन्हें नीचे गिरने से रोकती है।
- जैसे ही ऊपर उठने वाली हवा कमजोर पड़ती है, सारा पानी एक साथ नीचे गिरता है, जिससे तेज बारिश और बाढ़ आती है।
कौन से बादल जिम्मेदार होते हैं?
- इस तरह की घटनाओं में क्युमुलोनिम्बस (Cumulonimbus) बादल सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं।
- यह घटना आमतौर पर 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर होती है।
- वैज्ञानिक इसे Langmuir Precipitation Process कहते हैं, जहां बड़ी बूंदें छोटी बूंदों के साथ मिलकर भारी वर्षा का कारण बनती हैं।
बादल फटने से क्या-क्या हो सकता है नुकसान?
- अचानक आई बाढ़ से सड़कें, पुल और मकान क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- फसलों और पेड़ों को भारी नुकसान होता है।
- स्थानीय लोगों की जान को खतरा होता है।
- यातायात बाधित हो जाता है और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करना पड़ता है।
बचाव के उपाय और सतर्कता
- मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान देना जरूरी है।
- पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने से पहले स्थानीय प्रशासन की सलाह जरूर लें।
- नदियों और नालों के किनारे बसे गांवों को खाली करवाना चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होनी चाहिए।
क्या आप इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के सरकारी इंतज़ामों से संतुष्ट हैं? नीचे कमेंट करें और इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।