शरद पूर्णिमा: एक पवित्र और समृद्धि का पर्व

शरद पूर्णिमा, जिसे आश्विन महीने की पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, और चंद्र देवता की पूजा का दिन माना जाता है। हर साल इस दिन को मनाने के लिए लोग उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का वास हो। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जब पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण आभा के साथ धरती पर चमकेगा।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा को खास इस दिन माना जाता है क्योंकि इस रात चंद्रमा की किरणें अमृत जैसी मानी जाती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली रोशनी मनुष्य के शरीर को ताजगी, ऊर्जा, और शांति प्रदान करती है। साथ ही, यह समय देवी लक्ष्मी के आगमन का होता है। कहते हैं कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में आती हैं और उनकी दरिद्रता को दूर करके समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं।

शरद पूर्णिमा की खास परंपरा

शरद पूर्णिमा की रात को विशेष रूप से खीर बनाई जाती है, जिसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। माना जाता है कि इस खीर में चंद्रमा की अमृत किरणें समाहित हो जाती हैं, जिससे वह अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक और सौभाग्यवर्धक हो जाती है। लोग इसे खाकर अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा करें और उसकी रोशनी में खीर रखें।
  • देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि लाने की कामना करें।
  • सफेद रंग के कपड़े पहनें, जो इस दिन शुभ माने जाते हैं।
  • इस दिन व्रत रखें और संयमित आहार लें, ताकि मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनी रहे।

क्या न करें:

  • तामसिक भोजन, जैसे मांसाहार और मदिरा, का सेवन न करें। इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
  • काले रंग के कपड़े पहनने से बचें क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
  • घर में किसी प्रकार का झगड़ा या विवाद न करें, ताकि सुख-शांति बनी रहे।

शरद पूर्णिमा और आध्यात्मिक मान्यताएँ

शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के साथ-साथ चंद्र देवता भी विशेष रूप से पूजा के पात्र होते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ ब्रह्मांड को रौशन करता है, जिससे आशीर्वाद और शुभता का संचार होता है। इस रात को हर एक क्रिया और पूजा विशेष प्रभाव डालती है, इसलिए सही समय और विधि के साथ इस दिन को मनाना बेहद आवश्यक होता है।

शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और शांति लाने का भी एक उत्तम अवसर है। इस दिन की विशेष पूजा और व्रत से व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकता है और जीवन में आ रहे संकटों को दूर कर सकता है। इस पवित्र दिन को सही विधि से मनाएं और चंद्रमा की अमृत रोशनी में अपने जीवन को और भी संपूर्ण बनाएं।

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