फैज़ान अशरफ,
नई दिल्ली।
17 सितम्बर 2025 भारत के लिए विशेष दिन है क्योंकि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। 1950 में गुजरात के वडनगर के साधारण परिवार में जन्मे मोदी का सफर चाय बेचने वाले किशोर से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री तक पहुँचना न केवल अद्भुत है बल्कि करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने विकास का ऐसा मॉडल खड़ा किया जिसने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने खुद को “प्रधान सेवक” कहकर जनता के बीच यह संदेश दिया कि सत्ता उनके लिए सेवा का अवसर है, महत्वाकांक्षा का साधन नहीं।
शासन और बदलाव की परिभाषा बदली
डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया से लेकर जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों ने आम नागरिक की जिंदगी को सीधे प्रभावित किया। यूपीआई क्रांति ने भारत को डिजिटल पेमेंट्स का वैश्विक नेता बनाया। नए आपराधिक कानून, एक देश-एक चुनाव की पहल और पुराने कानूनों को खत्म करना मोदी के सुशासन के संकल्प को दर्शाता है।
वैश्विक कूटनीति का नया अध्याय
संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा, “नेबरहुड फर्स्ट” नीति और जी-20 में वसुधैव कुटुम्बकम् की आत्मा को सामने लाना, मोदी की कूटनीति की गहराई और व्यापक दृष्टि को दिखाता है। आज भारत विश्व राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
जनता से गहरा जुड़ाव
मोदी की भाषा और शैली ने आम लोगों के मन में गहरी छाप छोड़ी। चाहे “स्वच्छ भारत” को जन आंदोलन बनाना हो, “वोकल फॉर लोकल” का संदेश देना हो या फिर “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का मंत्र देना—हर बार उन्होंने जनता को केंद्र में रखा।
75वें जन्मदिन पर मध्यप्रदेश से नई सौगातें
आज प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश के धार जिले के ग्राम भैंसोला में अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर वे देश का पहला पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क, “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” एवं पोषण अभियान और “आदि सेवा पर्व” जैसे बड़े उपक्रमों की सौगात देंगे। इन योजनाओं से रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और जनजातीय विकास के नए अध्याय खुलेंगे।
नरेन्द्र मोदी का 75वां जन्मदिन केवल व्यक्तिगत उत्सव नहीं बल्कि एक ऐसे युग की निशानी है जिसने भारत की राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था और कूटनीति की दिशा बदल दी। आज मोदी केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि 21वीं सदी के उन वैश्विक नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने जनता की आकांक्षाओं को अपने कर्म से साकार करने का प्रयास किया।