जगदलपुर
छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली जब कुल 208 नक्सलियों ने संविधान में विश्वास व्यक्त करते हुए सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। सभी ने कुल 153 हथियार अधिकारियों को सौंपे जिनमें 19 एके 47 राइफल 17 एसएलआर 23 इंसास राइफल 1 इंसास एलएमजी 36 .303 राइफल 4 कार्बाइन 11 बीजीएल लॉन्चर और 41 बारह बोर बंदूकें शामिल हैं।
इस आत्मसमर्पण के साथ ही अबूझमाड़ क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नक्सली प्रभाव से मुक्त हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि उत्तर बस्तर में अब नक्सली गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं और अब अभियान का अगला चरण दक्षिण बस्तर को केंद्र में रखकर चलाया जाएगा ताकि पूरे छत्तीसगढ़ को लाल आतंक से मुक्त कराया जा सके।
राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल कर उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम बस्तर में शांति स्थापना की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन केवल छत्तीसगढ़ के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। सैकड़ों नक्सली अब संविधान पर विश्वास जताकर विकास की धारा से जुड़ने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी विकास और विश्वास की रोशनी पहुंच चुकी है।
मुख्यमंत्री ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देगी। उन्होंने सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन को इस बड़ी सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ अब नक्सल हिंसा से मुक्त राज्य बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।इस सामूहिक आत्मसमर्पण ने बस्तर क्षेत्र में शांति और विकास की नई उम्मीदें जगा दी हैं।

