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नई दिल्ली।
1 जुलाई 2025 से रेलयात्रियों को जेब ढीली करनी पड़ सकती है। रेलवे मंत्रालय ने मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के किराए में मामूली बढ़ोतरी करने की तैयारी कर ली है। यह बढ़ोतरी नॉन-एसी और एसी दोनों श्रेणियों में होगी, हालांकि इसे बीते वर्षों की तुलना में सबसे कम बताया जा रहा है। किराए में यह संशोधन दूरी के आधार पर किया जाएगा और 500 किलोमीटर तक की यात्रा करने वालों पर इसका कोई असर नहीं होगा।
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रेलवे के प्रस्ताव के अनुसार, स्लीपर क्लास और सेकंड सीटिंग जैसी नॉन-एसी श्रेणियों में 1 पैसा प्रति किलोमीटर की दर से किराया बढ़ेगा। हालांकि, यह बढ़ोतरी लंबी दूरी की यात्राओं में ही लागू होगी। 500 किलोमीटर से कम की यात्रा पर किराया जस का तस रहेगा। इससे आम यात्रियों पर न्यूनतम भार पड़ेगा।
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सभी AC क्लास में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी
वहीं, एसी प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के टिकटों में 2 पैसे प्रति किलोमीटर का इजाफा किया जाएगा। हालांकि, 500 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्रा पर यह बढ़ोतरी आधा पैसा प्रति किलोमीटर तक सीमित रह सकती है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यात्री वर्ग पर अचानक बड़ा आर्थिक भार न पड़े।रेलवे ने मासिक पास और सबअर्बन ट्रेन यात्रियों को राहत दी है। लोकल ट्रेन, डेली कम्यूटर और शहरों के भीतर रोजाना यात्रा करने वालों के लिए कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। यह फैसला इस वर्ग की आवश्यकताओं और आमदनी के स्तर को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
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रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार की किराया बढ़ोतरी 2020 और 2013 की तुलना में सबसे कम है।
🔸 1 जनवरी 2020 को:
- साधारण ट्रेनों में द्वितीय श्रेणी का किराया: 1 पैसा प्रति किमी
- मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में द्वितीय श्रेणी: 2 पैसे प्रति किमी
- स्लीपर क्लास: 2 पैसे प्रति किमी
- एसी श्रेणियां: 4 पैसे प्रति किमी
🔸 2013 में:
- साधारण ट्रेनों की द्वितीय श्रेणी: 2 पैसे प्रति किमी
- एक्सप्रेस ट्रेनों की द्वितीय श्रेणी: 4 पैसे प्रति किमी
- स्लीपर क्लास: 6 पैसे प्रति किमी
- एसी-3 और एसी-1: 10 पैसे प्रति किमी
- एसी-2: 6 पैसे प्रति किमी
यात्रियों पर कितना असर?
इस संशोधन का सबसे बड़ा प्रभाव लंबी दूरी की यात्रा करने वालों पर होगा, लेकिन बढ़ोतरी इतनी मामूली है कि प्रति टिकट महज 5 से 20 रुपये तक का अतिरिक्त खर्च होगा। रेलवे का तर्क है कि यह बदलाव महंगाई और परिचालन लागत में वृद्धि के कारण जरूरी हो गया है।
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रेलवे मंत्रालय की यह किराया नीति संतुलित मानी जा रही है, जिसमें एक ओर यात्रियों की सुविधा और जेब का ख्याल रखा गया है, तो दूसरी ओर रेलवे की आय में भी स्थायित्व लाने का प्रयास किया गया है।
1 जुलाई 2025 से लागू होने वाली यह नई दरें यात्रियों के लिए नई शुरुआत की घंटी तो हैं, लेकिन राहत यह है कि यह अब तक की सबसे न्यूनतम बढ़ोतरी है।
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