US High Tariffs On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के बाद अब भारतीय सामानों के ऊपर टैरिफ की कुल दरें बढ़कर 50 प्रतिशत हो चुकी हैं. इसके बाद भारतीय एक्सपोर्टर के लिए अमेरिकी बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक पाना वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले मुश्किल हो गया है. लेकिन जैसे ही भारत के ऊपर 50 प्रतिशत टैरिफ की दरें लागू हुई हैं, सरकार पूरी तरह से एक्शन में आ गई है और उद्योगों को बचाने की कोशिश में जुटी हुई है.
एक्शन में आई सरकार
एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से इस हफ्ते कैमिकल्स से लेकर रत्न व आभूषण तक अनेक उद्योग जगत के कारोबारियों के साथ बातचीत के लिए सेशन शेड्यूल किया गया है. इसका मकसद इन सभी लोगों के साथ चर्चा करके नए मार्केट की तरफ आगे कदम बढ़ाना है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक सरकारी अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि बजट 2025-26 के दौरान निर्यात संवर्धन योजना (Export Promotion Mission) का ऐलान किया गया था, उसके ऊपर तेजी से कदम बढ़ाकर काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर एक्सपोर्ट्स के विविधिकरण को लेकर हितधारकों के साथ मंत्रालय की मुलाकात की जाएगी.
48 बिलियन का व्यापार होगा प्रभावित
भारत अपने कुल निर्यात का करीब 20 प्रतिशत अमेरिका को निर्यात करता है. पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 के दौरान भारत की तरफ से 437.42 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था.
2021-22 के बाद से भारत, अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक साझेदार देश माना जाता है. दोनों देशों के बीच 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 131.8 बिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है, जिनमें से 86.5 बिलियन एक्सपोर्ट और 45.3 बिलियन इंपोर्ट किया गया.
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ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय सामानों के ऊपर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से करीब 48 अरब डॉलर के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा. जिन सेक्टर पर यह टैरिफ लगाया गया है, उनमें कपड़ा, रत्न व आभूषण, चमड़े और जूते, जानवरों से बने सामान, कैमिकल्स और इलेक्ट्रिक व मशीनरी शामिल हैं. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान, एनर्जी प्रोडक्ट्स और फार्मास्युटिकल्स को इस दायरे से बाहर रखा गया है.