भारत सरकार ने 15 अगस्त को निजी गाड़ियों यानी गैर-व्यावसायिक वाहनों के लिए FASTag Annual Pass (फास्टैग वार्षिक पास) की शुरुआत की। यह पास एक साल तक या फिर 200 ट्रिप तक (जो पहले पूरा हो) वैध रहेगा। इस पास के जरिए करीब 1,150 टोल प्लाजा और एक्सप्रेसवे पर सिर्फ एक बार 3,000 रुपये देकर सालभर में 200 बार टोल पार किया जा सकेगा। लॉन्च के बाद इसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और सिर्फ चार दिन में ही पांच लाख से ज्यादा लोगों ने इस पास को ले लिया।
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NHAI ने अपनाई नई व्यवस्था
लॉन्च के तुरंत बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) (एनएचएआई) ने एक सर्कुलर जारी किया। इसमें कहा गया कि टोल वसूलने वाली एजेंसियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक समान मुआवजा व्यवस्था अपनाई गई है।
यह व्यवस्था अभी चल रहे कॉन्ट्रैक्ट्स पर भी लागू होगी और अगले तीन महीने में आने वाली नई बिडिंग (बोलियों) पर भी। तीन महीने बाद, जब हर टोल प्लाजा पर इस पास के इस्तेमाल का सही डेटा मिल जाएगा, तो बोली लगाने वालों को वही आंकड़े दिए जाएंगे और उसके बाद किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
एनएचएआई ने बताया कि वार्षिक पास योजना के तहत शुल्क प्लाजा को पार करने वाली गैर-वाणिज्यिक कारों, वैन और जीपों की संख्या का निर्धारण आईएचएमसीएल (IHMCL) के माध्यम से एनपीसीआई (NPCI) द्वारा उपलब्ध कराए गए वास्तविक लेनदेन आंकड़ों के आधार पर किया जाएगा।
ICRA का अनुमान
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA का कहना है कि फास्टैग वार्षिक पास का टोल ऑपरेटरों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर सरकार ने पूरी भरपाई करने का फैसला किया, तो एनएचएआई पर 4,200 करोड़ से 4,500 करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ सकता है।
ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट आशीष मोदीनी ने बताया कि पैसेंजर कार ट्रैफिक टोल ऑपरेटरों की कुल आमदनी का 35-40 प्रतिशत हिस्सा होता है। खासकर बड़े शहरों के आसपास बने नेशनल हाईवे पर यह हिस्सा और भी ज्यादा होता है।
क्यों पड़ सकता है असर
सरकार फिलहाल टोल प्रोजेक्ट्स में निजी निवेश लाने और मोनेटाइजेशन पर जोर दे रही है। इसलिए उम्मीद है कि टोल ऑपरेटरों को मुआवजा दिया जाएगा। ताकि उनकी आमदनी पर बड़ा असर न पड़े।
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हालांकि, मुआवजे की प्रक्रिया में देर हो सकती है और ऑपरेटरों की पेमेंट फंस सकती है। साथ ही, जो लोग शहर से बाहर कम यात्रा करते हैं या टैक्सी ऑपरेटर्स हैं, उन्हें इस पास से खास फायदा नहीं होगा। ऐसे में एनएचएआई पर असर सिर्फ 6-7 प्रतिशत वार्षिक टोल कलेक्शन तक ही सीमित रहेगा।
NHAI की कमाई पर असर
अगर ICRA का अनुमान सही साबित होता है, तो मौजूदा वित्त वर्ष (मार्च 2026 तक) में एनएचएआई की कमाई पर असर पड़ सकता है। पिछले वित्त वर्ष (FY2025) में, जो मार्च 2025 में खत्म हुआ, एनएचएआई ने टोल फीस से कुल 72,931 करोड़ रुपये की कमाई की थी।