रायपुर। हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष की शुरुआत इस वर्ष 7 सितंबर 2025 से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा। यह पावन अवधि पूर्वजों को श्रद्धा अर्पित करने, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर प्रसन्न होते हैं।
हालांकि इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत को लेकर लोगों में थोड़ी भ्रम की स्थिति थी। कुछ पंचांग इसे 6 सितंबर से मान रहे थे, लेकिन भाद्रपद पूर्णिमा तिथि के अनुसार यह तिथि 7 सितंबर 2025, रात 1:41 बजे से शुरू होकर रात 11:38 बजे तक रहेगी। इसी आधार पर श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से और समापन 21 सितंबर 2025 को होगी।
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पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं। इस दौरान किए गए पुण्य कर्मों से पितृ दोष भी समाप्त होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
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श्राद्ध पक्ष में इन नियमों का रखें ध्यान
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प्रतिदिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल में काले तिल डालकर तर्पण करें।
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श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराना शुभ माना गया है। भोजन में खीर, पूड़ी और पितरों की प्रिय वस्तुएं अवश्य शामिल करें।
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श्राद्ध कर्म के उपरांत जरूरतमंदों और गरीबों को दान दें।
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इन 15 दिनों में केवल सात्विक भोजन करें। प्याज, लहसुन और मांसाहार का पूर्णतः त्याग करें।
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घर के वातावरण को शांत, पवित्र और सकारात्मक बनाए रखें।
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पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितृ पक्ष आत्मीय श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह समय न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पारिवारिक शांति और समृद्धि के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।