नई दिल्ली:
मां का स्थान इस संसार में कोई नहीं ले सकता। बच्चों के लिए मां का प्रेम निस्वार्थ और अतुलनीय होता है। इसी अमर प्रेम की अभिव्यक्ति है जितिया व्रत — एक ऐसा पर्व जिसमें माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। हिंदू धर्म के इस कठिन और आस्थापूर्ण व्रत का आयोजन इस वर्ष 14 सितंबर, 2025 (रविवार) को किया जाएगा।
क्या है जितिया व्रत?
जितिया व्रत, जिसे जीवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माताएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं, जिन्होंने अपने प्राण देकर एक नागपुत्र की रक्षा की थी।व्रत करने वाली महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं — यानी बिना जल ग्रहण किए पूरा दिन और रात्रि व्रत रखती हैं — और अगले दिन पारण करती हैं।
इस वर्ष की तिथियां और समय
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नहाए-खाए – 13 सितंबर 2025 (शनिवार)
इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं पवित्र नदी या जल में स्नान करती हैं और सात्विक भोजन कर व्रत का संकल्प लेती हैं। यह व्रत की तैयारी का दिन होता है। -
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 14 सितंबर 2025 को सुबह 05:04 बजे
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अष्टमी तिथि समाप्त – 15 सितंबर 2025 को सुबह 03:06 बजे
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जितिया व्रत (व्रत का मुख्य दिन) – 14 सितंबर 2025 (रविवार)
उदयातिथि (सूर्योदय के समय की तिथि) के अनुसार इसी दिन व्रत रखा जाएगा। महिलाएं सूर्योदय से पहले तैयार होकर उपवास प्रारंभ कर देंगी। -
व्रत पारण (उपवास तोड़ना) – 15 सितंबर 2025 (सोमवार)
अष्टमी तिथि के समापन के बाद, महिलाएं स्नान कर, तुलसी में जल अर्पित कर और धार्मिक विधि से पारण करेंगी।
क्यों रखा जाता है यह व्रत?
इस व्रत का उद्देश्य बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता की कामना करना है। मान्यता है कि भगवान जीमूतवाहन की पूजा और यह उपवास करने से माताओं के बच्चों को दीर्घायु और शुभ फल प्राप्त होते हैं।यह व्रत मातृत्व के त्याग, प्रेम और शक्ति का प्रतीक है। निर्जला उपवास के माध्यम से मां अपनी संतान के लिए जो तप करती है, वह अनुपम है।
ध्यान रखें कि यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। इसलिए व्रती महिलाओं को स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो व्रत में बदलाव करने की छूट शास्त्रों में दी गई है। साथ ही, शुद्धता, नियम और श्रद्धा का पालन अनिवार्य है।
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