शासकीय स्कूल का बाबू 10,000 रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर सवाल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जिले से रिश्वतखोरी के खिलाफ बड़ी खबर सामने आई है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चांदपसरा (चंपारण), अभनपुर ब्लॉक में कार्यरत बाबू मनोज कुमार ठाकुर को 10,000 रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह मामला एक साधारण नागरिक की हिम्मत से उजागर हुआ, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर एसीबी में शिकायत दर्ज कराई। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है।
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इलाज का चिकित्सा बिल पास करने मांग रहा था कमीशन
ग्राम पारागांव निवासी चंद्रहास निषाद ने एसीबी से शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके नवजात शिशु के इलाज का चिकित्सा बिल उन्होंने स्कूल में जमा किया था। बिल पास कराने और राशि स्वीकृत करने के नाम पर विद्यालय के बाबू मनोज कुमार ठाकुर ने उनसे 10 प्रतिशत कमीशन यानी 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की। शिकायतकर्ता ने तुरंत एसीबी से संपर्क किया। एसीबी ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पहले पूरे मामले की गहन सत्यापन प्रक्रिया पूरी की। जैसे ही रिश्वत की पुष्टि हुई, टीम ने कार्रवाई की तैयारी कर ली।
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एसीबी की विशेष टीम ने रंगे हाथ पकड़ा
21 अगस्त 2025 को एसीबी की विशेष टीम ने ट्रैप कार्रवाई (Trap Case) की। इस दौरान शिकायतकर्ता ने तयशुदा रकम बाबू को दी, और जैसे ही उसने 10,000 रुपये लिए, ACB टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद एसीबी अधिकारियों ने तुरंत उसकी तलाशी ली और रिश्वत की रकम बरामद कर ली। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। अब आगे की कार्रवाई न्यायालय और विभागीय स्तर पर की जाएगी।
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शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर सवाल
यह मामला शिक्षा विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक ओर सरकार लगातार पारदर्शिता और सुशासन की बात करती है, वहीं दूसरी ओर फाइल पास कराने जैसे छोटे कामों में भी रिश्वत मांगना सिस्टम की पोल खोल देता है। यह घटना साफ दिखाती है कि आम जनता को अगर अपने हक की राशि चाहिए, तो उन्हें रिश्वत की दलदल से गुजरना पड़ता है। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।