केंद्र सरकार ने मंगलवार को थोक व्यापारियों, छोटे और बड़े रिटेल चेन स्टोर्स और प्रोसेसरों के लिए गेहूं की स्टॉकिंग सीमाओं को और कड़ा कर दिया है। यह कदम जमाखोरी रोकने और गेहूं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के मकसद से लिया गया है, खासकर आगामी त्योहारों के मौसम को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने बताया कि त्योहारी सीजन से पहले गेहूं की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक लागू स्टॉक सीमा में संशोधन किया है।
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संशोधन के बाद किसके लिए कितनी लिमिट (31 मार्च 2026 तक)
थोक व्यापारी: अब 3,000 टन की जगह अधिकतम 2,000 टन तक गेहूं रख सकेंगे।
रिटेलर: हर आउटलेट पर स्टॉक की सीमा 10 टन से घटाकर 8 टन कर दी गई है।
बड़े रिटेल चेन स्टोर्स: प्रत्येक आउटलेट पर अधिकतम 8 टन तक स्टॉक रखा जा सकेगा, जबकि पहले यह 10 टन था।
प्रोसेसर: अब वे अपनी मासिक स्थापित क्षमता के शेष महीनों के आधार पर 70% के बजाय केवल 60% तक ही गेहूं स्टॉक कर सकेंगे।
इस साल पहले भी हुए थे बदलाव
20 फरवरी 2025 को व्यापारियों की सीमा 250 टन और रिटेल आउटलेट की सीमा 4 टन कर दी गई थी।
27 मई 2025 को इसे फिर बढ़ाकर व्यापारियों के लिए 3,000 टन और रिटेल आउटलेट के लिए 10 टन कर दिया गया था।
अब नए संशोधनों के साथ यह आदेश 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगा।
रजिस्ट्रेशन और निगरानी
खाद्य मंत्रालय ने सभी गेहूं स्टॉक करने वाली इकाइयों को https://foodstock.dfpd.gov.in पोर्टल पर रजिस्टर कराना और हर शुक्रवार को अपनी स्टॉक स्थिति अपडेट करना अनिवार्य किया है। जो भी तय सीमा से अधिक स्टॉक रखेगा, उसे 15 दिनों के भीतर सीमा में लाना होगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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गेहूं की उपलब्धता और उत्पादन
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), अन्य कल्याणकारी योजनाओं और बाजार के लिए गेहूं की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। 2024-25 में देश ने रिकॉर्ड 117.50 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन किया। 2025-26 मार्किटिंग ईयर में अब तक 30.03 मिलियन टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। सरकार गेहूं की कीमतों को स्थिर रखने और देश में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक की निगरानी कड़ाई से कर रही है।