छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को बड़ा झटका: टॉप लीडर राजू सलाम समेत 100+ नक्सलियों ने किया सरेंडर, कांकेर और सुकमा में ऐतिहासिक आत्मसमर्पण

कांकेर/सुकमा, 16 अक्टूबर 2025 — छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ सामने आया है। राज्य के कांकेर जिले में टॉप माओवादी लीडर राजू सलाम, मीना, प्रसाद और भास्कर समेत 100 से ज्यादा नक्सलियों ने कोयलीबेडा थाना क्षेत्र के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं, सुकमा जिले में 50 लाख के इनामी माओवादी सहित 27 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। यह अब तक का सबसे बड़ा और संगठित आत्मसमर्पण अभियान माना जा रहा है।

कांकेर: 100 से अधिक नक्सलियों का सरेंडर, सुरक्षा व्यवस्था रही अभूतपूर्व

सूत्रों के अनुसार, कांकेर जिले के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में बुधवार को सुरक्षा बलों के समक्ष 100 से ज्यादा नक्सलियों ने हथियार डाले। बताया जा रहा है कि ये सभी माओवादी रावघाट एरिया कमेटी और माड़ डिवीजन के सक्रिय सदस्य थे।

सरेंडर के लिए नक्सली गेंडाबेड़ा गांव तक पैदल आए और वहां से पुलिस की बसों और गाड़ियों में बैठकर कैंप तक पहुंचे। वायरल हो रहे एक वीडियो में दो बसें, तीन कारें और एक पुलिस वाहन कैम्प की ओर जाते दिख रही हैं। चारों तरफ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही, मीडिया कवरेज को भी सीमित रखा गया।

हालांकि, प्रशासन ने अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि यह छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा नक्सली आत्मसमर्पण है। आत्मसमर्पण करने वालों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है, और आगामी दिनों में आधिकारिक जानकारी जारी की जाएगी।

सुकमा: 50 लाख के इनामी समेत 27 माओवादी आत्मसमर्पण के साथ मुख्यधारा में लौटे

सुकमा जिले में बुधवार को एक और बड़ा आत्मसमर्पण सामने आया। 27 सक्रिय माओवादियों ने जिला मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें:

  • पीएलजीए बटालियन नंबर-1 के दो हार्डकोर सदस्य
  • सीपीआई (माओवादी) डिवीजन स्तर का एक कैडर
  • 1 पार्टी कार्यकर्ता
  • 11 संगठनात्मक सदस्य शामिल हैं।

इनमें 10 महिलाएं और 17 पुरुष माओवादी हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में से एक पर 50 लाख, तीन पर 8-8 लाख, एक पर 3 लाख, दो पर 2 लाख और नौ पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

पुनर्वास नीति का असर: नक्सलवाद से मोहभंग, विकास की ओर रुझान

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों ने संगठन में फैली अराजकता, हिंसा, आर्थिक शोषण और दमन से तंग आकर यह कदम उठाया। छत्तीसगढ़ सरकार की “नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियत नेल्ला नार योजना” की सफलता से यह परिवर्तन संभव हो पाया।

इस ऑपरेशन को सफल बनाने में जिला पुलिस बल, डीआरजी, एसटीएफ, और सीआरपीएफ की 74, 131, 151, 216, 217 व 203 बटालियन की अहम भूमिका रही।

सीएम साय का बयान: “नक्सलवाद अंत की ओर”

मुख्यमंत्री   साय ने आत्मसमर्पण को लेकर ट्वीट किया, “छत्तीसगढ़ के सुकमा में 50 लाख के इनामी नक्सली सहित 27 माओवादियों का आत्मसमर्पण यह संकेत है कि नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर है। शासन की संवेदनशील पुनर्वास नीति और गांव-गांव तक पहुंचती विकास योजनाओं ने यह विश्वास कायम किया है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताते हुए कहा कि “देश नक्सल-मुक्त भारत” के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

बस्तर अंचल में बदलता माहौल

इन आत्मसमर्पणों से यह स्पष्ट हो गया है कि नक्सलवाद अपनी पकड़ खो रहा है। कांकेर और सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास, सुरक्षा और विकास का नया युग प्रारंभ हो चुका है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के समन्वय से शांति की वापसी की उम्मीदें मजबूत हुई हैं।

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