बारिश के मौसम में स्कूल भवनों की जर्जर हालत को देखते हुए मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने एहतियातन बड़ा कदम उठाया है। लोक शिक्षण संचालनालय ने राज्य के सभी 94 हजार सरकारी स्कूलों के लिए निर्देश जारी किए हैं, जिनमें स्पष्ट कहा गया है कि जिन स्कूलों में सीलन, सीपेज या छत से प्लास्टर गिरने जैसी स्थिति है, वहां बच्चों को ऐसे कमरों में बिल्कुल न बैठाया जाए।
इस आदेश के चलते मध्य प्रदेश के जिन स्कूलों के सभी कमरे खस्ताहाल हैं, वहां अघोषित रूप से छुट्टियां घोषित हो गई हैं। जिला शिक्षा अधिकारी और संबंधित स्कूल प्राचार्य को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राजस्थान की घटना के बाद सख्ती
यह निर्णय राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल भवन ढहने की घटना के बाद लिया गया है। हादसे के बाद मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने स्कूल भवनों का जायजा लें और जहां भी भवन की हालत खराब है, वहां पढ़ाई तत्काल प्रभाव से बंद की जाए।
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इसके अलावा, स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए विभाग द्वारा धनराशि भी आवंटित की जा रही है। स्कूल प्राचार्य को यह सुनिश्चित करना है कि मरम्मत का कार्य प्राथमिकता से कराया जाए। वहीं, शिक्षकों को भी भवनों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रदेश में 5600 अति जर्जर स्कूल
प्रदेश के 94 हजार सरकारी स्कूलों में से करीब 5600 स्कूल “अति जर्जर” घोषित किए गए हैं। वहीं, 81 हजार स्कूलों में किसी न किसी स्तर पर भवन या कक्षाओं की हालत खराब है। राजधानी भोपाल की बात करें तो 836 सरकारी स्कूलों में से 400 स्कूलों के भवन व कक्षाएं खस्ताहाल हैं, जिनमें से 50 स्कूल अत्यधिक जर्जर स्थिति में हैं।
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इस आदेश के लागू होने के बाद इन स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए अघोषित छुट्टी जैसी स्थिति बन गई है, ताकि किसी भी संभावित हादसे से बचा जा सके।