मध्यप्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर खांसी की दवा पीने से बच्चों की मौत के बाद पूरे देश में दहशत फैल गई है। अब इस दहशत की गूंज छत्तीसगढ़ तक पहुंच चुकी है। तमिलनाडु की फार्मा कंपनी द्वारा बनाई गई जिस कोल्ड्रिफ कफ सिरप को पीने से मासूमों की जानें गईं, उस पर अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सख्त रुख अपनाया है। भले ही राज्य में इस सिरप की आधिकारिक सप्लाई नहीं हुई थी, लेकिन सरकार ने एहतियात के तौर पर इस सिरप को प्रतिबंधित कर दिया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कोल्ड्रिफ सिरप की न तो किसी मेडिकल स्टोर पर बिक्री की अनुमति है और न ही इसकी राज्य में कोई आधिकारिक उपस्थिति है। बावजूद इसके, मध्यप्रदेश और राजस्थान की घटनाओं को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने समय रहते चेतावनी जारी कर दी है ताकि किसी भी तरह का जोखिम न उठाना पड़े।
सिरप में मिले जहरीले तत्वों की पुष्टि के बाद केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों की टीमें सक्रिय हो गई हैं। जांच में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा मानक सीमा से कई गुना अधिक पाई गई, जो शरीर की किडनी को सीधे नुकसान पहुंचाता है और विशेष रूप से बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है।इस सिरप का निर्माण तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित श्रीसन फार्मा द्वारा किया गया है। अब तक मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इस सिरप से जुड़ी घटनाओं में ग्यारह बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि राजस्थान में भी दो बच्चों की जान चली गई। जैसे ही यह खबरें सामने आईं, वैसे ही तमिलनाडु, राजस्थान, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और उत्पादन पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया।
छत्तीसगढ़ में हालांकि सिरप की कोई रिपोर्टेड सप्लाई नहीं थी, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होती तस्वीरों और अफवाहों ने लोगों के मन में डर का माहौल बना दिया। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने तुरंत यह फैसला लिया कि इस सिरप को बाजार से पूरी तरह हटाया जाएगा।दवा व्यापारियों ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि लोगों में बेवजह की घबराहट न फैले और बाजार में किसी तरह की भ्रम की स्थिति न बने, इसके लिए आवश्यक था कि सरकार समय पर सख्ती दिखाए।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन यानी सीडीएससीओ ने भी इस मामले में 19 दवाओं के सैंपल इकट्ठा किए हैं जिनमें कोल्ड्रिफ सिरप, एंटीबायोटिक्स और बुखार की दवाएं शामिल हैं। शुरुआती जांच में कुछ दवाएं मानकों पर खरी उतरीं लेकिन कोल्ड्रिफ सिरप पूरी तरह फेल साबित हुई।केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप न दी जाए और पांच साल से छोटे बच्चों के लिए भी इन दवाओं का उपयोग बेहद सावधानी से किया जाए। साथ ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी लेबल लगाना अब अनिवार्य कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने राज्यभर के सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि बाजार में उपलब्ध खांसी की सभी दवाओं की सैंपलिंग कराई जाए और किसी भी संदिग्ध सिरप की बिक्री को तुरंत रोका जाए।
यह पहली बार नहीं है जब किसी सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल जैसा जहरीला रसायन पाया गया है। इससे पहले भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जहां इस रसायन की वजह से बच्चों की मौत हुई थी। भारत में भी कुछ समय पहले हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में ऐसी घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।
अब जब मामला राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर हो चुका है, छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने स्तर पर जिस तत्परता से कदम उठाया है, वह एक जिम्मेदार और सजग शासन की मिसाल है। राज्य में किसी प्रकार की दवा त्रासदी न हो, इसके लिए उठाए गए कदम निश्चित ही सराहनीय हैं।सरकार ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों से न घबराएं, किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें और बच्चों को बिना सलाह के कोई भी सिरप न दें। यदि किसी को संदिग्ध दवा की जानकारी मिलती है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या दवा नियंत्रण विभाग को सूचित करें।छत्तीसगढ़ ने यह साफ कर दिया है कि बच्चों की सेहत और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। कोल्ड्रिफ सिरप भले ही इस राज्य में वितरित नहीं हुआ हो, लेकिन इससे जुड़ी संभावित खतरे को भांपते हुए राज्य सरकार का समय पर लिया गया निर्णय निश्चित ही एक मजबूत और सराहनीय कदम कहा जा सकता है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में इस जहरीले कफ सिरप ने सबसे भयावह रूप तब दिखाया जब दोनों राज्यों में मासूम बच्चों की मौतें दर्ज की गईं। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 7 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच कोल्ड्रिफ सिरप पीने के बाद अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें 18 माह की बच्ची से लेकर 7 साल तक के मासूम शामिल हैं। वहीं राजस्थान में जयपुर जिले के झोटवाड़ा इलाके में दो बच्चों की जान गई, जिनकी उम्र दो साल और पांच साल थी। यहां डेक्सट्रोमेथोर्फन युक्त कफ सिरप को जिम्मेदार माना गया, जो उसी निर्माता कंपनी कायसन फार्मा द्वारा तैयार किया गया था। दोनों राज्यों में हुए इन हादसों के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और तुरंत सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जबकि केंद्र सरकार ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी।

