रायपुर //-
प्रदेश भर के प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में बच्चों के लिए दोपहर का गरमागरम भोजन तैयार करने वाले मध्याह्न भोजन रसोइया कर्मचारियों ने विगत तीन दिवस का हड़ताल कर अपना मानदेय बढ़ाने की मांग की है। तीन दिनों बाद हड़ताल को समाप्त कर राज्य सरकार को लगभग एक माह का अल्टीमेटम देते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि यदि सरकार हमारी मांगों को नहीं मानी तो आने वाले दिनों में प्रदेश भर के रसोईया अनिश्चितकालीन आंदोलन में चले जाएंगे।
“छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त कर्मचारी मोर्चा” के प्रदेश संयोजक एवं “छत्तीसगढ़ जागरूक शिक्षक संघ” के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने स्कूल सफाई कर्मचारीयो की हड़ताल का समर्थन करते हुए उनकी मांगों को जायज बताया है।
मोर्चा एवं संघ के प्रदेश पदाधिकारीगण बीरेंद्र साहू, राजेंद्र लाड़ेकर, शिवकुमार साहू, प्रदेश महासचिव भोजराम साहू, गायत्री मंडलोई, महेश्वर कोटपरिहा, प्रदेश संयुक्त सचिव हरिशंकर पटेल, कमलेश कुमार भारती, प्रदेश प्रवक्ता, नरेंद्र तिवारी, केशव पटेल, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रोहित कुमार पटेल, अमर दास बंजारे, रामसेवक पैकरा, राजेंद्र कुमार साहू, जगदीश साहू, दिनेश कुमार लहरें….
….. देवेंद्र वर्मा, प्रमोद कुंभकार, दिनेश निर्मलकर, संतोष जैन, मनोज यादव, अभिषेक तिवारी, सुषमा प्रजापति, नारद सहारे, मुकेश दिवाकर, शंभूराम साहू, चंद्रशेखर सारथी, रेखा पुजारी, अरविंद पांडे, देवीदयाल साहू, फूलदेव गुप्ता, हीरालाल विश्वकर्मा, ज्वाला बंजारे, महेश शर्मा, बिमला लकड़ा, मंजू शर्मा, तुलसा मंडावी, नंदकुमार पटेल, रूलिका लकड़ा, नूरजहां खान, रूपेंद्र कुमार साहू, कोमल सिंह गुरु, तिलक खांडे, कुलदीप सिन्हा, कौशल्या कोले, शशिमा कुर्रे, विनोद सिंह राजपूत, मनीषा मिंज, कजला महिलांगे, कुलेश्वरी साहू, कैलाशचंद्र ठाकुर आदि ने संगठन की ओर से संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि मध्यान भोजन रसोईया एवं स्कूल सफाई कर्मचारी यह दोनों स्कूल शिक्षा विभाग के अभिन्न अंग है।
स्कूल शिक्षा विभाग में कर्मचारियों के तौर पर सभी स्कूलों में शिक्षक, बच्चों के लिए भोजन बनाने वाले मध्यान भोजन रसोईया, स्कूलों की साफ सफाई करने वाले कर्मचारी आदि की नियुक्त की है। यह तीनों कर्मचारी शिक्षा विभाग में एक दूसरे के पूरक हैं। किसी भी कर्मचारी के बिना स्कूल शिक्षा विभाग की कल्पना नहीं की जा सकती।
क्योंकि एक ओर जहां शिक्षक दिनभर बच्चों को सभी विषयों का अध्ययन अध्यापन कराते है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने का काम रसोइया भाई बहन करते हैं। जो बच्चों के लिए बढ़िया गरम भोजन तैयार करते हैं। बच्चों के दोपहर की भूख मिटाते हैं। ठीक इसी प्रकार स्कूल सफाई कर्मचारियों के द्वारा स्कूलो की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। शौचालय, टॉयलेट आदि की पूरी साफ सफाई की जाती है।
संगठन ने कहा है कि यह देखने और सुनने में आ रहा है कि विगत 20-25 सालों से अर्थात जब से ये कर्मचारी काम कर रहे हैं तब से इनका मानदेय तीन चार सौ से लेकर पांच सौ, एक हजार, डेढ़ हजार तक ही हो पाया है।
अभी रसोइयों को मात्र दो हजार रुपए की मासिक मानदेय मिलती है। इसी प्रकार स्कूल सफाई कर्मचारियों को लगभग तीन हजार रुपए की राशि मिलती है। चूंकि आज महंगाई का दौर है। इस दौर में सभी के बच्चों की पढ़ाई लिखाई, काफी, पुस्तक, दिनचर्या के रूप में सब्जी, भाजी, टमाटर, कपड़े, नून, तेल आदि। सभी सामान की जरूरत पड़ती है।
कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने बताया कि आज की तारीख में चार सदस्यों के एक न्यूनतम परिवार का किराना सामान का ही बिल के दो से तीन हजार रुपए का बन जाता है। कपड़े, जूते, चप्पल, दैनिक उपयोग की पुस्तक, सब मिलकर हर व्यक्ति का महीने में 8 से 10 हजार रुपए से अधिक खर्च हो जाता है।
इन कर्मचारियों का मानदेय नहीं बढ़ाना अथवा इन पर ध्यान नहीं देना। यह एक बड़ा ही गंभीर समस्या है। संगठन ने मांग की है कि राज्य सरकार को मानवीय संवेदना का ध्यान रखते हुए मध्यान भोजन रसोईया एवं स्कूल सफाई कर्मचारियों का वेतन बढ़ाते हुए इन्हें कलेक्टर दर पर वेतन देना चाहिए। साथ ही सम्मानजनक वेतन इनको मिलनी चाहिए। ताकि यह भी सम्मान पूरक अपना जीवन यापन कर सके एवं मन लगाकर स्कूल का कार्य कर सके।