विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में भारत की बेटी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। फाइनल में उन्होंने पोलैंड की जूलिया को मात दी और स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इससे पहले सेमीफाइनल में उन्होंने वेनेजुएला की कैरोलिना अल्काला को 5-0 से परास्त किया था।
महिला वर्ग में यह जीत भारतीय मुक्केबाजी के लिए गर्व का क्षण लेकर आई, वहीं पुरुष वर्ग के लिए निराशा भरा परिणाम सामने आया। 12 वर्षों में पहली बार भारतीय पुरुष मुक्केबाज बिना किसी पदक के लौटेंगे। जदुमणि सिंह से उम्मीदें थीं, लेकिन उन्हें गत विश्व चैंपियन कजाखस्तान के सांजेर ताशकेनबे के हाथों 0-4 से हार झेलनी पड़ी।
जदुमणि की हार के साथ यह तय हो गया कि भारत के दस सदस्यीय पुरुष दल को इस बार कोई पदक नहीं मिलेगा। आखिरी बार ऐसा 2013 में हुआ था। जबकि ताशकंद में 2023 की चैंपियनशिप में भारत ने तीन कांस्य पदक जीते थे।
महिला वर्ग की स्वर्णिम सफलता और पुरुष वर्ग की हार ने इस बार की चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजी के प्रदर्शन को दो अलग छोरों पर खड़ा कर दिया है।