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नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है, लेकिन जब यह तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित कार्तिक मास में आती है, तब इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा।
पंचांग के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर रात 10:36 बजे आरंभ होकर 5 नवंबर शाम 6:48 बजे समाप्त होगी। इसलिए प्रमुख व्रत-पूजन, स्नान-दान और दीपदान का पर्व 5 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
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देव दीपावली: जब देवता स्वयं आते हैं पृथ्वी पर
कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी नगरी में देव दीपावली का भव्य उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर गंगा तट पर दीप प्रज्वलित करते हैं और भगवान विष्णु व महादेव की आराधना करते हैं।
इस वर्ष देव दीपावली का प्रदोषकाल का शुभ मुहूर्त शाम 5:15 से 7:50 बजे तक रहेगा। इसी अवधि में दीपदान और पूजन करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
साथ ही, चंद्र उदय का समय शाम 5:11 बजे रहेगा — इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देना और चंद्र देव की पूजा करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द्य की प्राप्ति होती है।
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पूजन-विधि
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा स्थान को सजाएं और चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- उन्हें कुमकुम, अक्षत, पुष्प और तुलसी पत्र अर्पित करें।
- घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं और आरती करें।
- विष्णु चालीसा या मंत्रों का जाप करें तथा परिवार की सुख-शांति की कामना करें।
- पूजन के बाद फल-मिष्ठान का भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें।
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धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के साथ-साथ त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक तीन असुरों—संपतासुर, रूपासुर और महामालासुर—का संहार किया था।
इस कारण यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु, दोनों के पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र जलतीर्थ में स्नान, ध्यान और दान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शाम के समय दीपदान करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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कार्तिक पूर्णिमा 2025 का पर्व 5 नवंबर, बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा।
यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और दान-धर्म का भी प्रतीक है।
गंगा स्नान, दीपदान और भगवान विष्णु-शिव की आराधना करने से इस दिन किए गए सभी शुभ कर्म अक्षय फल प्रदान करते हैं।

