हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होना आज के दौर में बेहद जरूरी है। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती संख्या के साथ ही मेडिकल खर्च भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हेल्थ इंश्योरेंस आपकी आर्थिक सुरक्षा का एक मजबूत माध्यम है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सभी गंभीर और जानलेवा बीमारियों को कवर करे। कई बार क्रिटिकल बीमारियों के इलाज में होने वाले लंबे समय तक चलने वाले खर्चों को यह कवर नहीं कर पाती। इसलिए, हेल्थ इंश्योरेंस के साथ-साथ क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस लेना भी काफी अहम हो जाता है।
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हेल्थ इंश्योरेंस और क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस क्यों अलग हैं
जानलेवा बीमारियों का कवरेज: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अस्पताल में भर्ती और ओपीडी के खर्चों को कवर करती है, जबकि क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस एकमुश्त रकम (लंपसम) देती है, जिसका अस्पताल के खर्च से कोई लेना-देना नहीं होता। एसबीआई जेनरल इंश्योरेंस के मुताबिक, कैंसर, एंड-स्टेज किडनी फेल्योर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के लिए क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी जरूरी है। बीमार होने पर पॉलिसीधारक को एकमुश्त राशि मिलती है।
कवरेज का दायरा: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कई तरह की बीमारियां और दुर्घटनाएं शामिल होती हैं, वहीं क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस केवल कुछ खास गंभीर बीमारियों को कवर करता है।
प्रीमियम का अंतर: हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के मुकाबले अधिक होता है। हेल्थ इंश्योरेंस कई बार और कई बीमारियों के लिए दावा करने की सुविधा देता है, जबकि क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में जीवन भर केवल एक बार दावा किया जा सकता है।
नॉन-मेडिकल खर्चों का कवरेज: हेल्थ इंश्योरेंस केवल अस्पताल खर्चों को कवर करता है, लेकिन क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस एकमुश्त राशि देता है जिसे आप घर के खर्च, कर्ज चुकाने या अन्य नॉन-मेडिकल जरूरतों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। गंभीर बीमारी आपकी कमाई को भी प्रभावित कर सकती है, ऐसे में यह राशि बहुत मददगार साबित होती है।
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दोनों का होना है बेहद जरूरी
हेल्थ इंश्योरेंस और क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस दोनों में महत्वपूर्ण अंतर हैं। जहां हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल खर्चों के लिए सुरक्षा देता है, वहीं क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस गंभीर बीमारियों से होने वाले भारी वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करता है। दोनों पॉलिसियां अलग-अलग जरूरतों को पूरा करती हैं और दोनों का होना आपके वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है।