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अम्बिकापुर, 16 नवम्बर 2025 — सरगुजा संभाग कमिश्नर कार्यालय ने शिक्षा व्यवस्था की पवित्रता और विद्यालयीन अनुशासन को सर्वोच्च महत्व देते हुए दो अलग-अलग प्रकरणों में गंभीर आरोपों का सामना कर रहे दो व्याख्याताओं को निलंबित कर दिया है। दोनों मामलों में कलेक्टर स्तर की अनुशंसा और पुलिस जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की गई है।
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पहला मामला — सहकर्मियों से विवाद और अनुशासनहीनता पर बसंतपुर के व्याख्याता राजेन्द्र देवांगन निलंबित
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बसंतपुर, जिला बलरामपुर रामानुजगंज में पदस्थ व्याख्याता राजेन्द्र कुमार देवांगन को लगातार अनुशासनहीन आचरण, सहकर्मियों से विवाद और विद्यालयीन वातावरण को प्रभावित करने के कारण निलंबित किया गया है।
पुलिस अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर की 10 अक्टूबर 2025 की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि विद्यालय में श्री देवांगन के कारण शिक्षकों के बीच लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती थी, जिससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था।
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कलेक्टर ने अनुशंसा में कहा कि उनका व्यवहार बारंबार विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को बाधित कर रहा था और वे अक्सर सहकर्मियों से उलझते रहते थे। प्रकरण की समीक्षा के बाद कमिश्नर सरगुजा ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन मानते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत निलंबन का आदेश जारी किया।
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निलंबन अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा और उनका मुख्यालय संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय सरगुजा संभाग अम्बिकापुर निर्धारित किया गया है। आदेश तत्काल प्रभावशील है।
दूसरा मामला — नाबालिग छात्रा से अमर्यादित व्यवहार पर जशपुर के व्याख्याता गिरधारी राम यादव निलंबित
शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय, जशपुर में पदस्थ व्याख्याता गिरधारी राम यादव के विरुद्ध नाबालिग छात्रा से अमर्यादित और अशोभनीय व्यवहार का गंभीर आरोप सामने आने पर कमिश्नर सरगुजा ने तत्काल कार्रवाई की है।
कलेक्टर जशपुर द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार कक्षा 10वीं की छात्रा ने श्री यादव के अनुचित व्यवहार की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना जशपुर ने भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 74, 75, 64(2)(m), 65(1), 6 और 8 के तहत FIR दर्ज की है।
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कलेक्टर कार्यालय ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा कि शिक्षक द्वारा ऐसा कृत्य न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि विद्यालयीन वातावरण और शिक्षक–छात्र संबंधों पर गहरा आघात पहुंचाता है। अभिलेखों के अवलोकन के बाद कमिश्नर सरगुजा ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का गंभीर उल्लंघन पाया और नियम 9(1)(क) के तहत तत्काल निलंबन का आदेश जारी किया।
निलंबन अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और उनका मुख्यालय संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय सरगुजा संभाग अम्बिकापुर निर्धारित किया गया है। आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
इन दोनों कार्रवाइयों के माध्यम से सरगुजा संभाग प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिया है कि विद्यालयीन अनुशासन शिक्षकीय आचरण, छात्र सुरक्षा और शैक्षणिक वातावरण की पवित्रता किसी भी परिस्थिति में समझौते का विषय नहीं हैं।
कमिश्नर कार्यालय ने दोनों मामलों में त्वरित और कठोर निर्णय लेकर यह संदेश दिया है कि शिक्षा प्रणाली में किसी भी प्रकार का अनुशासनहीनता या छात्र हितों के विरुद्ध आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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