छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में लंबे समय से लंबित प्राचार्य पदोन्नति का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। “छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” और सहयोगी संगठनों ने सरकार से पारदर्शी और न्यायसंगत काउंसलिंग कराने की मांग की है। प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने स्पष्ट कहा है कि “टी संवर्ग” की प्राचार्य पदोन्नति काउंसलिंग में गंभीर विसंगतियाँ हैं, जिन्हें दूर किए बिना पदस्थापना आदेश जारी करना अन्याय होगा। उन्होंने शासन और लोक शिक्षण संचालनालय को ज्ञापन सौंपकर 1355 पदोन्नत प्राचार्यों को काउंसलिंग में शामिल करने और समान अवसर देने की पुरजोर मांग की है।
12 साल से अटकी पदोन्नति, हाईकोर्ट में भी मामला लंबित
संघर्ष मोर्चा का कहना है कि प्रदेश में पिछले 12 वर्षों से प्राचार्य पदोन्नति का मामला लंबित है। इस दौरान कई बार शासन ने पहल की, लेकिन विसंगतियों और कानूनी पेचिदगियों के चलते प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। माननीय हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ में “ई संवर्ग” प्राचार्य पदोन्नति का मामला भी विचाराधीन है। मोर्चा का कहना है कि कोर्ट के अंतिम फैसले के बाद ई संवर्ग की पदोन्नति प्रक्रिया को भी तत्काल आगे बढ़ाया जाए।
2:1:1 अनुपात पर विवाद, पारदर्शी नियमों की मांग
14 अगस्त 2025 को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी काउंसलिंग नियमों में 2:1:1 का अनुपात तय किया गया है, जिस पर कड़ा विरोध जताया गया है। प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह का कहना है कि काउंसलिंग प्रक्रिया में यह अनुपात न्यायसंगत नहीं है। सूची तैयार करते समय पहले नियमित व्याख्याता, फिर नियमित प्रधान पाठक माध्यमिक शाला और उसके बाद व्याख्याता एल.बी. संवर्ग को क्रमवार शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शासन के नियमों के अनुसार प्रक्रिया अपनाई जाएगी तो दिव्यांगजन, महिला शिक्षकों, गंभीर बीमारी से जूझ रहे कर्मचारियों और रिटायरमेंट के करीब पहुँच चुके प्राचार्यों को भी उचित अवसर मिलेगा।
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1355 प्राचार्यों को शामिल करने की मांग
मोर्चा की प्रमुख मांग है कि टी संवर्ग के सभी 1355 पदोन्नत प्राचार्यों को काउंसलिंग में शामिल किया जाए। इससे समानता का सिद्धांत लागू होगा और सभी पदोन्नत अधिकारियों को अपनी पसंद के अनुसार पदस्थापना का अवसर मिल सकेगा। सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के स्थान पर उन्हीं के संवर्ग से वरिष्ठता के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को शामिल किया जाए, ताकि रिक्त पद भरे जा सकें और कोई पात्र शिक्षक वंचित न रह जाए।
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शिक्षा गुणवत्ता पर असर
संघर्ष मोर्चा का कहना है कि प्राचार्यविहीन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। यदि लंबित पदोन्नतियों को शीघ्र प्रभाव से लागू कर दिया जाए, तो प्रदेश के सभी स्कूलों में पूर्णकालिक प्राचार्य तैनात होंगे। इससे शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिलेगा।
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छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति का मामला सिर्फ शिक्षकों के करियर से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र की गुणवत्ता और स्थिरता से भी संबंधित है। यदि शासन जल्द पारदर्शी और निष्पक्ष कदम नहीं उठाता तो शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।