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नई दिल्ली | 16 अक्टूबर 2025
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी इस वर्ष बेहद विशेष योग लेकर आई है। शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को जब श्रद्धालु भगवान विष्णु की उपासना में लीन होंगे, उसी दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव भी अपनी राशि बदलकर एक नया ज्योतिषीय प्रभाव उत्पन्न करेंगे। इसके साथ ही धनतेरस का पर्व भी इसी दिन मनाया जाएगा, जिससे यह तिथि धार्मिक, ज्योतिषीय और भौतिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक मानी जा रही है। नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन की ऑनलाईन तिथि तीन दिन बढ़ी, अब 17 अक्टूबर शाम पांच बजे तक भरे जा सकेंगे आवेदन
रमा एकादशी: पापों के नाश और लक्ष्मी प्राप्ति का दिन
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, परंतु रमा एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से मनुष्य के समस्त पाप कटते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस एकादशी से ही दीपावली पर्व की शुरुआत मानी जाती है। यही कारण है कि कई स्थानों पर धनतेरस की खरीदारी भी रमा एकादशी से ही प्रारंभ होती है।
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शुभ मुहूर्त और तिथि
पंचांग के अनुसार रमा एकादशी की तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10:35 बजे शुरू होकर 17 अक्टूबर को सुबह 11:12 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार व्रत 17 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। व्रत का पारण (समापन) 18 अक्टूबर को सुबह 6:24 बजे से 8:41 बजे तक किया जाएगा। इस अवधि में व्रत तोड़ना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
सूर्य देव का राशि परिवर्तन: जीवन में ला सकता है बड़ा बदलाव
इस बार रमा एकादशी पर ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष संयोग बन रहा है। इसी दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव अपनी राशि बदलेंगे। सूर्य, तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, जिसका स्वामी मंगल ग्रह है। यह गोचर 17 अक्टूबर को दोपहर 1:53 बजे होगा।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य का यह परिवर्तन धन, स्वास्थ्य और पद-प्रतिष्ठा से जुड़े क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव डालेगा। कुछ राशियों के लिए यह गोचर शुभ संकेत लेकर आ सकता है, जबकि कुछ को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
व्रत के नियम और पारण विधि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही करना चाहिए। यदि द्वादशी सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाए, तो सूर्योदय के बाद व्रत खोला जाता है। व्रत के दिन निर्जला या फलाहारी व्रत रखकर, भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जाप, व्रत कथा वाचन और दान करना श्रेष्ठ माना गया है। CG – युवक लॉटरी के लिए निकला अनजान जगह, बनाई अपहरण की झूठी कहानी, पुलिस ने किया खुलासा
रमा एकादशी का आध्यात्मिक अर्थ
‘रमा’ शब्द का अर्थ है मां लक्ष्मी। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। यह एकादशी न केवल आध्यात्मिक शुद्धि, बल्कि आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक सुख को भी बढ़ावा देने वाली मानी जाती है।
धनतेरस का प्रारंभ भी रमा एकादशी से
इस बार रमा एकादशी और धनतेरस का शुभ योग एक ही दिन बन रहा है, जो अत्यंत दुर्लभ है। कई स्थानों पर लोग इस दिन धनतेरस की पूजा और खरीदारी का शुभारंभ करेंगे। बाजारों में रौनक देखने को मिलेगी और घरों में लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
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संक्षेप में, 17 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रमा एकादशी, सूर्य का राशि परिवर्तन और धनतेरस — ये तीनों घटक इस दिन को एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक अवसर बना रहे हैं। श्रद्धालुओं और साधकों को चाहिए कि इस दिन व्रत, पूजा, दान और ध्यान के माध्यम से आत्मिक व सांसारिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।

