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रायपुर। सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे पावन समय माना जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक अवधि नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक रंगों से सजी एक अद्भुत यात्रा होती है। जैसे ही वर्ष 2025 में 11 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है और 14 जुलाई को पहला सोमवार पड़ रहा है, देशभर में शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। खासतौर पर कुछ स्थान ऐसे हैं जहां सावन में लगने वाले मेले न केवल विशाल होते हैं बल्कि अद्वितीय भक्ति-भाव का परिचायक भी हैं। आइए जानते हैं भारत के पांच सबसे बड़े और प्रसिद्ध सावन मेलों के बारे में—
1. बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर (झारखंड)
झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में हर साल सावन में विशाल मेला लगता है। यहां सुल्तानगंज से कांवड़िए गंगाजल लाकर लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा करते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। यह मेला देश के सबसे बड़े शिव मेलों में शामिल है, जहां लाखों भक्त जुटते हैं।
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2. हरिद्वार कांवड़ मेला (उत्तराखंड)
गंगा के तट पर बसे हरिद्वार में सावन के महीने में देश का सबसे बड़ा कांवड़ मेला आयोजित होता है। शिवभक्त यहां गंगाजल भरकर अपने-अपने शहरों में स्थित शिव मंदिरों तक पैदल यात्रा करते हैं। यहां की सुरक्षा व्यवस्था से लेकर भक्तों की सेवा तक हर व्यवस्था भव्य होती है।
3. बाबा केदारनाथ यात्रा (उत्तराखंड)
उत्तराखंड के चारधामों में शामिल बाबा केदारनाथ धाम में भी सावन के महीने में विशेष श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। कठिन हिमालयी रास्तों से गुजरते हुए भक्त केदारनाथ पहुंचते हैं और भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। सावन में यहां भक्ति का विशेष वातावरण बनता है।
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4. बाबा महाकाल मेला, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में सावन का विशेष महत्व है। यहां की प्रसिद्ध भस्म आरती देशभर में प्रसिद्ध है। सावन में यहां का मेला भक्ति और परंपरा का ऐसा संगम होता है जिसे देखने लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आते हैं।
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5. तारकेश्वर मेला, पश्चिम बंगाल
कोलकाता से करीब 50 किलोमीटर दूर तारकेश्वर में सावन में लगने वाला मेला बंगाल की आस्था का जीवंत उदाहरण है। यहां न केवल दिन में विशेष पूजा होती है, बल्कि रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन की विशेष परंपरा भी है। स्थानीय लोगों से लेकर दूर-दराज के भक्त भी यहां जुटते हैं।
सावन 2025 के साथ एक बार फिर देश शिवभक्ति की धारा में डूबने को तैयार है। इन मेलों में केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और जन-जन में बसे शिव के प्रति प्रेम का अद्वितीय रूप देखने को मिलता है।