छत्तीसगढ़ की रायपुर/03 मार्च 2025। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि आज वित्त मंत्री ओ.पी चौधरी जी ने पौने दो घंटे तक छत्तीसगढ़ का आम बजट पेश किया, छत्तीसगढ़ की आम जनता, छग का युवा, महिला,गरीब, अन्नदाता किसान, आदिवासी एक उम्मीद, एक आशा लेकर इस बजट को ध्यान से देख रहा था, कि इस बजट में उनके लिए कुछ खास होगा, कोई घोषणा होगी, कोई योजनाएं होगी, परंतु सांय सरकार के इस बजट का पिटारा पूरी तरह खाली था, किसी के हाथ कुछ नहीं लगा. हर वर्ग निराश है और अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है. यह बजट पूरी तरह उनकी आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के विपरित रहा। सांय सरकार के इस दूसरे बजट में आम जनता की जेब में सीधे पैसा डालने का कोई प्रयास नहीं किया गया, ना ही छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए रोजगार सृजन के लिए, ना बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए, ना ही छत्तीसगढ़ के आने वाले 1 वर्ष के सुनहरे भविष्य के लिए कोई ठोस कदम उठाए है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि वित्त मंत्री ओपी चौधरी आंकड़ों की बाजीगरी के माध्यम से फिर से छग की जनता को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ की जनता को ना ज्ञान ( GYAN) मिल पाया और ना ही इस बार के बजट से छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को गति ( GATI ) मिल पाएगी. यह फिर से एक बार सिर्फ और सिर्फ जुमले साबित होंगे। छत्तीसगढ़ की आम जनता यह सोच रही हैं कि शायरियों और कविताओं से भरपूर पौने दो घंटे के वित्त मंत्री के इस बजट का प्रस्तुतीकरण जितना मनोरंजक था, काश बजट की योजनाएं, बजट का आंबटन कार्यप्रणाली सोच, नीयत, नीति और मंशा छत्तीसगढ़ की आम जनता के हित के लिए होती तो शहर छत्तीसगढ़ के आम आदमी के चेहरे पर भी एक सच्ची मुस्कुराहट होती, पर अफसोस इसमें सांय सरकार पूरी तरह विफल रही। पिछले बजट में भी वित्त मंत्री ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी ना रायपुर में एम्स की तर्ज पर 700 बेड का नया अस्पताल बन पाया ना नई राजधानी में संगीत महाविद्यालय बना और ना ही आई टी हब बन पाया, ना ही छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभाओं में आईआईटी की तर्ज पर छत्तीसगढ़ प्रोद्योगिक संस्थान बन पाए, ना ही नालंदा परिसर की तर्ज पर 22 लाइब्रेरी बन पाई. साय सरकार के सारे वादे फिर एक बार जुमले साबित हुए। इस बार के बजट में भी वित्त मंत्री ने बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं की हैं, जिनका वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं और ना ही शायद सरकार की इनका पूरा करने की नीयत नीति और मंशा दिखती है. इस बार के बजट में कृषि और शिक्षा के बजट में कटौती इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है। पेट्रोल की कीमत में 1 रू. की कमी ऊँट के मुंह में जीरा के समान है। मोदी सरकार ने 2014 के बाद डीजल पर एक्साइज 3 रू. 56 पैसे से पांच गुना बढ़ाकर 19 रू. 90 पैसा कर दिया गया और जब कम करने की बात आई तो मात्र 1 रू. जबकि क्रूड आयल की कीमत में 40 से 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। महिलाओं को 500 में सिलेंडर देने के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया इससे स्पष्ट है कि साय सरकार फिर से महिलाओं को ठगने की तैयारी कर चुकी है।