पखांजुर: शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत कोयलीबेड़ा ब्लॉक के तुरसानी गांव में खुलकर सामने आ गई है। शासकीय प्राथमिक शाला में महीनों से सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई चल रही थी। आखिरकार अभिभावकों का सब्र टूट गया और उन्होंने स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया। बच्चों के साथ सड़कों पर उतरे पालकों ने बीईओ कार्यालय पहुंचकर स्कूल की चाबी सौंप दी और साफ चेतावनी दी — “जब तक दो शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी, स्कूल नहीं खुलेगा।”
अभिभावकों का आरोप: “जिम्मेदार सोए हुए हैं”
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप बैठे हैं। एक अभिभावक ने कहा, “हमारे बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं, लेकिन कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया। एक शिक्षक कैसे पूरे स्कूल को संभाले?”
पालकों का आरोप है कि अधिकारी केवल कागजों पर शिक्षा सुधार दिखा रहे हैं, जमीनी हकीकत कुछ और है।
बच्चों की रैली और नारेबाजी
तुरसानी स्कूल के बच्चे भी इस विरोध में शामिल हुए। उन्होंने हाथों में बैनर लिए नारे लगाए — “हमें शिक्षक दो, पढ़ाई का अधिकार दो।”
बीईओ कार्यालय पहुंचकर अभिभावकों ने स्कूल की चाबी सौंपते हुए कहा कि जब तक नए शिक्षक नहीं मिलते, ताला नहीं खुलेगा।
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शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही का ताजा उदाहरण बन गई है। एक ओर सरकार “हर बच्चे को शिक्षा” की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण स्कूल एकल शिक्षक पर निर्भर हैं। सवाल उठता है — आखिर कब तक बच्चे सिस्टम की सुस्ती का शिकार बनते रहेंगे? अभिभावकों का यह कदम शिक्षा प्रणाली के प्रति गहराते अविश्वास को दिखाता है। अब देखना यह है कि विभाग कब तक आंखें मूंदे रहेगा। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

