रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल हिंसा से प्रभावित मासूम चेहरों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक अनोखी और परिवर्तनकारी पहल—’लियोर ओयना’ योजना—अब धरातल पर उम्मीद की नई फसल बो रही है। इस योजना का नाम ही अपने उद्देश्य को परिभाषित करता है: ‘लियोर ओयना’ यानी ‘नई सुबह’, और यह सचमुच उन बच्चों के जीवन में नई रौशनी लेकर आई है, जिन्हें कभी अंधेरे ने निगल लेने की कोशिश की थी।
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस अभिनव योजना के अंतर्गत बीजापुर जिले के उसूर और गंगालूर विकासखंड के दर्जनों बच्चों को राजधानी रायपुर लाया गया है, जहां उन्हें केवल किताबें ही नहीं, बल्कि एक नया नजरिया, सुरक्षा और सपनों को उड़ान देने की आज़ादी दी जा रही है।
इन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुरक्षा, मनोवैज्ञानिक परामर्श (काउंसलिंग), पोषण, कौशल विकास, और करियर मार्गदर्शन जैसी सुविधाएं मिल रही हैं—वो सब कुछ, जो एक उज्ज्वल भविष्य की नींव बनाते हैं।
हिंसा से शिक्षा की ओर
कभी जिन बच्चों को नक्सलियों ने अपने स्वार्थ के लिए हिंसा और बंदूक की राह पर धकेलने की कोशिश की थी, वे अब कलम, किताब और सपनों के साथ जीना सीख रहे हैं। रायपुर में इन बच्चों के लिए सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया है ताकि वे देश और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
राज्य सरकार के इस प्रयास की झलक उस समय देखने को मिली जब नवा रायपुर में अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इन बच्चों से मुलाकात की। बच्चों की आंखों में जो उत्साह, चेहरे पर जो जिज्ञासा और बातों में जो आत्मविश्वास था, वह किसी भी कठोर दिल को भी पिघला सकता था।
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सपने अब पंख मांग रहे हैं
कई बच्चों ने अपने भविष्य को लेकर बड़ी-बड़ी उम्मीदें जाहिर कीं—कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, तो कोई शिक्षक या पुलिस अफसर। यह वही बच्चे हैं जो कभी जंगलों के सन्नाटे और गोलियों की गूंज के बीच पलते थे। लेकिन अब वे अपने जीवन की कहानी खुद लिखना चाहते हैं—कहानी संघर्ष से सफलता की।
सामाजिक बदलाव की मिसाल
‘लियोर ओयना’ योजना अब सिर्फ एक शासकीय पहल नहीं रही, यह बन चुकी है समाज परिवर्तन का प्रतीक। यह योजना साबित कर रही है कि अगर नीति में संवेदनशीलता हो और इरादे में स्पष्टता, तो बंदूक की जगह किताब थामने वाले हाथ मिल सकते हैं, और कट्टरपंथ की दीवारें शिक्षा की रौशनी से ढह सकती हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल अब नक्सल उन्मूलन की रणनीति को एक मानवीय और सामाजिक दृष्टिकोण से मजबूती दे रही है। यह एक उदाहरण बन रही है पूरे देश के लिए कि कैसे विकास, शिक्षा और मानवीय स्पर्श से अंधेरे को पीछे छोड़ा जा सकता है।
‘लियोर ओयना’—सचमुच नक्सल इलाकों के बच्चों के लिए नई सुबह, नया आसमान बन रही है।
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