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नई दिल्ली।
देश में पहली बार डीएनए आधारित अखिल भारतीय समकालिक हाथी गणना (SAIEE-2025) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है — भारत में जंगली हाथियों की संख्या में 18 फीसदी की गिरावट आई है।2017 में जहां यह संख्या 27,312 थी, वहीं 2025 की नई रिपोर्ट के मुताबिक देश में अब सिर्फ 22,446 हाथी बचे हैं। पर्यावरण मंत्रालय, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और प्रोजेक्ट एलीफेंट के संयुक्त प्रयास से की गई इस अनोखी और वैज्ञानिक गणना में पहली बार हाथियों की गिनती मल (DNA सैंपल) के आधार पर की गई है, जिसे अब तक की सबसे सटीक विधि माना जा रहा है।
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गणना का दायरा और प्रक्रिया
- सर्वेक्षण 21 राज्यों में किया गया।
- 319,460 डंग प्लॉट्स बनाए गए।
- 21,056 सैंपल जुटाए गए।
- करीब 6.6 लाख फुट सर्वेक्षण (फील्ड ट्रैकिंग) की गई।
- डेटा संग्रहण का कार्य 2022-2023 में हुआ, पूर्वोत्तर राज्यों में 2024 में पूरा किया गया।
यह पूरी प्रक्रिया जमीनी सर्वेक्षण + उपग्रह आधारित मैपिंग + आनुवंशिक विश्लेषण (DNA) के तीन-स्तरीय मॉडल पर आधारित रही।
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कहां कितने हाथी?
| राज्य/क्षेत्र | अनुमानित हाथियों की संख्या |
|---|---|
| कर्नाटक | 6,013 |
| असम | 4,159 |
| तमिलनाडु | 3,136 |
| केरल | 2,785 |
| उत्तराखंड | 1,792 |
| ओडिशा | 912 |
| छत्तीसगढ़ + झारखंड | 650+ |
| अरुणाचल प्रदेश | 617 |
| मेघालय | 677 |
| नगालैंड | 252 |
| त्रिपुरा | 153 |
| मध्यप्रदेश | 97 |
| महाराष्ट्र | 63 |
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क्षेत्रवार उपस्थिति
- पश्चिमी घाट: सबसे बड़ा हाथी निवास क्षेत्र — 11,934 हाथी
- उत्तर पूर्व भारत और ब्रह्मपुत्र घाटी: 6,559 हाथी
- शिवालिक पहाड़ियां और गंगा मैदान: 2,062 हाथी
- मध्य भारत और पूर्वी घाट: 1,891 हाथी
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गणना में पहली बार डीएनए तकनीक का इस्तेमाल
इससे पहले हाथी गणना केवल दृष्टि आधारित (ऑब्जर्वेशन) होती थी, जिससे सटीक आंकड़े नहीं मिल पाते थे।
वैज्ञानिक डॉ. विष्णु प्रिया के मुताबिक, “इस बार मल के डीएनए विश्लेषण से गणना की गई है, जो विश्वसनीय और वैज्ञानिक तौर पर अधिक मान्य है।”
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रिपोर्ट जारी करने वाले प्रमुख वैज्ञानिक व अधिकारी
एस.पी. यादव, महानिदेशक, इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस, रमेश पांडे, एडिशनल डायरेक्टर जनरल, पर्यावरण मंत्रालय, गोबिंद भारद्वाज, निदेशक, WII, डॉ. एरक भरूचा, चेयरमैन, ICSC, डॉ. रुचि बडोला और डॉ. विष्णु प्रिया, WII वैज्ञानिक
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कम होती संख्या पर चिंता
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई राज्यों में हाथियों के छोटे-छोटे खंडित समूह बचे हैं, जिनका अस्तित्व संकट में है — जैसे मध्यप्रदेश (97 हाथी) और महाराष्ट्र (63 हाथी)। इस गिरावट का कारण: आवासीय कटाव (habitat fragmentation),मानव-हाथी संघर्ष, जंगलों में अतिक्रमण, अवैध शिकार
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संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
इस रिपोर्ट को आने वाले समय में हाथी संरक्षण नीतियों, कॉरिडोर डेवलपमेंट और मानव-वन्यजीव टकराव को कम करने की दिशा में एक वैज्ञानिक रोडमैप के रूप में देखा जा रहा है। यह गणना अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और भारत को हाथी संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में ला सकती है।
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जानिए — क्यों है हाथियों की गणना जरूरी?
हाथी न सिर्फ भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का संकेतक भी है। इनकी आबादी में गिरावट वन्य जीवन असंतुलन, पारिस्थितिक संकट और मानवीय दबावों को दर्शाती है।

