किताबों से ज़्यादा उसने दर्द पढ़ा,
भीड़ में भी सबका चेहरा गहराई से गढ़ा,
नारे नहीं, विचार उसकी जुबान हैं,
वो सत्ता नहीं, एक संवेदनशील पहचान है।
19 जून 1970 को दिल्ली में जन्मे राहुल गांधी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि उस महान परंपरा के उत्तराधिकारी हैं जिसने भारत को उसकी आत्मा दी। पंडित नेहरू का स्वप्न, इंदिरा गांधी का संकल्प, राजीव गांधी की दृष्टि और सोनिया गांधी की गरिमा — इन सबका समागम उनके व्यक्तित्व में झलकता है।
बड़ी हस्तियों की छाया में जन्मा हर बच्चा इतिहास नहीं बनता,
पर राहुल ने विरासत को जिम्मेदारी में बदला, यही उसकी पहचान बनता।
शिक्षा की ऊँचाइयों से संवेदना की गहराइयों तक
दून स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेकर हार्वर्ड और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तक पहुँचे राहुल गांधी ने विकास, समाज और राजनीति को सिर्फ पढ़ा नहीं, महसूस किया। उन्होंने जो सीखा, उसे जिया और जो जिया, उसे जनता के बीच लाया।
किताबों से निकला हुआ एक चेहरा,
जो भीड़ में भी विचारों से अलग दिखा।
जिसने डिग्रियों से नहीं, दृष्टिकोण से सीखा
देश को जोड़ने का नया रास्ता लिखा।
सत्ता नहीं, सेवा की राजनीति
2004 में अमेठी से सांसद बने राहुल गांधी ने राजनीति को करियर नहीं, कमिटमेंट माना। उन्होंने संसद में दलितों, आदिवासियों, किसानों और युवाओं की आवाज़ को बुलंद किया। 2013 में जब वे कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने, तब पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर नई ऊर्जा मिली। 2017 में अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने बिना डरे लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई लड़ी।
वो नेता नहीं, रहनुमा है जो हर आंधी से टकराता है,
सत्ता के सिंहासन से नहीं, जनता की पीड़ा से संवाद करता है।
भारत जोड़ो यात्रा : पैरों के छालों से दिलों के पुल तक
कन्याकुमारी से कश्मीर तक 145 दिन की यह यात्रा राहुल गांधी का महज राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अभियान था। उन्होंने नफरत के विरुद्ध प्रेम, डर के विरुद्ध साहस और चुप्पी के विरुद्ध सवाल को खड़ा किया।
चल पड़ा था अकेला, पर देश साथ हो गया,
हर गांव, हर सड़क उसके पाँव का सवाल हो गया,
भारत जोड़ो का था यह सफर कुछ खास,
नफरत की दीवारों में वो बन गया विश्वास।
एक विचारशील, व्यावहारिक और विनम्र व्यक्तित्व
राहुल गांधी की सबसे बड़ी ताकत है उनकी सादगी और संवेदना। वे कैमरे से नहीं, कैमरे के पीछे की कहानियों से जुड़े हैं। बच्चे, बुजुर्ग, आदिवासी, सैनिक, छात्र — हर किसी से उनका रिश्ता दिल का है, दिखावे का नहीं। वे बोलते कम हैं, समझते ज़्यादा हैं।
हर मुस्कान में सच्चाई की गहराई है,
हर चुप्पी में सवालों की परछाई है।
जो झुककर मिलता है, वही ऊँचा होता है,
राहुल गांधी नाम नहीं, विचारों की सच्चाई है।
सपनों से भरा भविष्य और जड़ों से जुड़ा आज
राहुल गांधी लोकतंत्र को सिर्फ संविधान की किताब तक सीमित नहीं मानते, वे उसे लोगों की धड़कनों में महसूस करते हैं। उनकी दृष्टि एक ऐसे भारत की है जहाँ
— हर युवा को अवसर मिले
— हर महिला को सम्मान मिले
— हर किसान को न्याय मिले
— और हर नागरिक को गरिमा मिले
जो कल की सोच रखे, वो योजनाकार होता है,
जो आज में जिए, वो लीडर होता है।
और जो आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़े,
वो राष्ट्र निर्माता होता है।
जनता का नेता, मन का साथी
राहुल गांधी की सादगी, मिलनसारिता और दृढ़ता उन्हें सिर्फ नेता नहीं, जन-जन का अपना इंसान बनाती है। उनकी आँखों में करुणा है, हाथों में मेहनत और वाणी में सच्चाई। वे भले ही पदों से ऊपर न हों, पर लोगों के दिलों में बहुत ऊँचे हैं।
जन्मदिवस पर शुभकामनाएं
19 जून सिर्फ एक तारीख नहीं, उस सोच का उत्सव है जो भारत को जोड़ती है, संवारती है और आगे ले जाती है। हम कामना करते हैं कि राहुल गांधी स्वस्थ, दीर्घायु और सदैव जनता की आवाज़ बने रहें।
राहुल गांधी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं,आपके विचारों में है भारत की आशा,आपके संघर्ष में है लोकतंत्र की भाषा।