भारत में ‘ला नीना’ का प्रकोप! कई राज्यों में ठंड बढ़ी, IMD ने जारी किया अलर्ट
देश में डिजिटल क्रांति का चेहरा बन चुका यूपीआई अब हर भारतीय की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। मोबाइल से होने वाले लेन-देन ने नकदी की जरूरत लगभग खत्म कर दी है। अक्टूबर 2025 में यूपीआई ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है — महीने भर में 20.7 अरब से ज्यादा ट्रांजेक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू करीब 27 लाख करोड़ रुपये रही। केवल 18 अक्टूबर को ही एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ। आज औसतन 67.5 करोड़ ट्रांजेक्शन रोज हो रहे हैं, यानी दुनिया के आधे डिजिटल पेमेंट अब भारत में हो रहे हैं।
लेकिन इस तेजी के साथ-साथ ठगी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकार ने संसद में बताया है कि 2022-23 से 2023-24 के बीच यूपीआई फ्रॉड केसों में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ठगों द्वारा हड़पी गई रकम में 89.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। यानी अब ठग छोटे नहीं, बल्कि बड़े भुगतानों पर निशाना साध रहे हैं।
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साल 2024-25 की बात करें तो अप्रैल से सितंबर के बीच देशभर में करीब 6.32 लाख यूपीआई फ्रॉड केस दर्ज किए गए हैं। इनमें लगभग 485 करोड़ रुपये लोगों के खातों से उड़ गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही रफ्तार जारी रही, तो इस वित्तीय वर्ष में यूपीआई फ्रॉड का नया रिकॉर्ड बनेगा। यह आंकड़े सिर्फ उन मामलों के हैं जिनकी शिकायत की गई — असल संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
बढ़ते मामलों को देखते हुए आरबीआई और एनपीसीआई ने कई नए नियम लागू किए हैं। अब दो लोगों के बीच ‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’ फीचर पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पहले ठग ‘रिफंड आया है’ या ‘केवाईसी कर लें’ जैसे बहाने बनाकर रिक्वेस्ट भेजते थे और अप्रूव करते ही पैसे खाते से कट जाते थे। अब ऐसा संभव नहीं है।
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हर पेमेंट के लिए अब डबल सिक्योरिटी यानी टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि सिर्फ पिन डालने से पेमेंट नहीं होगा, इसके साथ बायोमेट्रिक या दूसरा पासवर्ड भी जरूरी होगा।
फ्रॉड पर नजर रखने के लिए आरबीआई ने सेंट्रल पेमेंट्स फ्रॉड इन्फॉर्मेशन रजिस्ट्री (CPFIR) बनाई है। इसमें हर बैंक को 24 घंटे के अंदर ठगी के मामले की पूरी जानकारी डालनी होती है, ताकि अन्य बैंकों को भी अलर्ट मिल सके और ठगों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
यूपीआई एप्स में भी कई नई सेफ्टी फीचर जोड़े गए हैं। अब किसी अनजान आईडी को पैसे भेजने से पहले स्क्रीन पर वार्निंग दिखाई देगी। किसी को पहली बार पैसे भेजने पर दो घंटे का कूल-डाउन पीरियड रहेगा। अगर कोई स्क्रीन शेयरिंग ऐप चलाता है, तो ट्रांजेक्शन अपने आप ब्लॉक हो जाएगा।
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सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अगर किसी के साथ ठगी होती है और वह तीन दिन के भीतर cybercrime.gov.in या 1930 पर शिकायत दर्ज कर देता है, तो उसकी जिम्मेदारी शून्य मानी जाएगी। बैंक को पूरा पैसा वापस करना पड़ेगा, चाहे ठग भाग ही क्यों न जाए।
ठगी से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है — किसी को भी पिन, ओटीपी या पासवर्ड न बताएं, भुगतान से पहले यूपीआई आईडी और नाम ध्यान से जांचें, अनजान लिंक पर क्लिक न करें, और हमेशा ऐप का नवीनतम संस्करण इस्तेमाल करें। याद रखें, जब किसी को पैसे आने हैं तो पिन डालने की जरूरत नहीं होती।
ठगों के हथकंडे भी हर दिन नए होते जा रहे हैं — फेक क्यूआर कोड, नकली स्क्रीनशॉट, बैंक या पुलिस बनकर पिन मांगना, सिम स्वैप, स्क्रीन शेयरिंग, फेक लोन एप या व्हाट्सएप पर दोस्त बनकर पैसे मांगना जैसे तरीके अब आम हो चुके हैं।
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अगर आपके साथ ठगी हो जाए, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें, खाते को फ्रीज कराएं और यूपीआई ब्लॉक करवाएं। तीन दिन के भीतर cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। अगर बैंक कार्रवाई नहीं करता, तो एनपीसीआई या आरबीआई ओम्बड्समैन के पास शिकायत की जा सकती है।
भारत में डिजिटल पेमेंट की दुनिया हर दिन नए आयाम छू रही है, लेकिन इसके साथ ही खतरे भी बढ़ रहे हैं। सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है — एक छोटी सी गलती आपकी मेहनत की कमाई को मिनटों में गायब कर सकती है।
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